
नई दिल्ली, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में आज ऐतिहासिक राष्ट्रपति सैलून का आम जनता के लिए अनावरण किया गया। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड की कार्यकारी निदेशक (विरासत) आशिमा मेहरोत्रा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। कार्यक्रम में राष्ट्रीय रेल संग्रहालय के निदेशक दिनेश कुमार गोयल भी शामिल हुए। यह विशेष प्रदर्शनी 24 अगस्त तक आम दर्शकों के लिए खुली रहेगी।
राष्ट्रपति सैलून भारतीय रेलवे की उस गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है, जिसका उपयोग देश के राष्ट्रपतियों द्वारा राजकीय यात्राओं के लिए किया जाता रहा है। प्रदर्शनी का उद्देश्य जनता को इस अनूठे सैलून के इतिहास से अवगत कराना है। इसमें उन राजकीय रेल यात्राओं की झलक मिलती है, जो भारतीय लोकतंत्र और परंपराओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण रही हैं। यह आयोजन भारतीय रेलवे की उस विशिष्ट विरासत को सामने लाता है, जो परंपरा और आधुनिकता का अद्वितीय संगम है। प्रदर्शनी के दौरान दर्शक न केवल राष्ट्रपति सैलून की भव्यता और ऐतिहासिक महत्व को देख सकेंगे, बल्कि भारतीय रेलवे के गौरवशाली अध्यायों से भी रूबरू होंगे।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति सैलून दो विशेष डिब्बों में बंटा है। यह कोच संख्या 9000 और 9001 से मिलकर बना है। पहले कोच संख्या 9000 कार ‘ए’ में राष्ट्रपति का दफ्तर, बैठक कक्ष, विश्राम कक्ष, अतिथि कक्ष, स्नानघर, आलीशान किचन और शौचालय शामिल है। इस हिस्से में राष्ट्रपति अपनी औपचारिक बैठक और राजकीय कार्य करते थे। यहां 14.5 किलोग्राम चांदी के बर्तन थे, जिनमें राष्ट्रपति खाना खाते थे।
वहीं, दूसरे कोच संख्या 9001 कार ‘बी’ में चिकित्सक और सचिव का केबिन, भोजन कक्ष, रसोईघर तथा पेट्री स्टोर जैसी सुविधाएं मौजूद है। यह कोच राष्ट्रपति के स्टाफ और टीम के लिए तैयार किया गया गया था। इसकी स्पीड 90 किमी प्रति घंटा है। बोगी में पार्किंग ब्रेक के साथ एयर ब्रेक सिस्टम लगा है। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के कार्यकाल के बाद राष्ट्रपति सैलून का संचालन बंद कर दिया गया। नई दिल्ली के रेल म्यूजियम में फिलहाल इसे रखा गया है। इसे लोगों के लिए भी खोला गया है।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
