Jammu & Kashmir

जम्मू-कश्मीर में वीवीपी के कार्यान्वयन हेतु प्रभावी कार्ययोजना तैयार करें —मुख्य सचिव

जम्मू-कश्मीर में वीवीपी के कार्यान्वयन हेतु प्रभावी कार्ययोजना तैयार करें —मुख्य सचिव

श्रीनगर, 20 सितंबर (Udaipur Kiran News) । मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने यहाँ वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-II (वीवीपी-II) की कार्यान्वयन रणनीति की व्यापक समीक्षा करते हुए संबंधितों से इसे निर्धारित समय-सीमा में लागू करने हेतु एक प्रभावी रणनीति तैयार करने पर ज़ोर दिया।

यह कार्यक्रम रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमावर्ती गाँवों के व्यापक विकास के उद्देश्य से एक केंद्र द्वारा वित्त पोषित पहल है। वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2028-29 के लिए 6,839 करोड़ रुपये के कुल बजट के साथ यह कार्यक्रम 2047 के लिए विकसित भारत के विजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

बैठक में एसीएस योजना के अलावा केपीडीसीएल के एमडी; आरएंडबी विभाग के प्रतिनिधि, बीएसएनएल के प्रतिनिधि और संबंधित डीसी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।

वीवीपी-II पहल उन 15 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के गाँवों को कवर करेगी जो अंतर्राष्ट्रीय भूमि सीमाएँ साझा करते हैं। जम्मू-कश्मीर में यह कार्यक्रम बारामूला, बांदीपोरा, कुपवाड़ा, जम्मू, सांबा, कठुआ, राजौरी और पुंछ सहित 8 सीमावर्ती जिलों के 43 ब्लॉकों में रणनीतिक रूप से चयनित 124 गाँवों में लागू किया जाएगा।

मुख्य सचिव ने संबंधित उपायुक्तों द्वारा अंतराल विश्लेषण करने के बाद प्रत्येक जिले में पाई गई कमियों का विषयवार मूल्यांकन किया। उन्होंने संबंधितों को प्राथमिकता के आधार पर इन सभी कमियों को पाटने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का निर्देश दिया।

उन्होंने उपायुक्तों को प्रत्येक गाँव के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों के माध्यम से इन सभी कमियों वाले क्षेत्रों का पता लगाने का निर्देश दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि बिजली के लिए आरडीएसएस योजना का लाभ उठाया जा सकता है सड़क संपर्क के लिए पीएमजीएसवाई, आजीविका के अवसरों के लिए एनआरएलएम, मिशन युवा, एचएडीपी, केसीसी, पीएमईजीपी, आरईजीपी जैसी योजनाओं पर विचार किया जाना चाहिए।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इन पहलों को समृद्ध बनाना हमारा साझा लक्ष्य होना चाहिए।

वीवीपी के कार्यान्वयन पर बोलते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव (योजना), आशीष चंद्र वर्मा ने बताया कि निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए व्यापक विकास हेतु एक त्रि-आयामी रणनीति तैयार की गई है।

उन्होंने आगे कहा कि कार्यक्रम की रणनीति सीमावर्ती गाँवों में बेहतर जीवन स्तर बनाने और आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। यह कार्यक्रम यह सुनिश्चित करेगा कि मौजूदा केंद्रीय और केंद्र शासित प्रदेश की योजनाएँ सीमावर्ती ब्लॉकों के सभी 1,421 गाँवों तक पहुँचें और चार प्रमुख विषयगत क्षेत्रों – आजीविका के अवसर, स्वास्थ्य अवसंरचना, शिक्षा सुविधाएँ और वित्तीय समावेशन पर ध्यान केंद्रित करें।

इसमें पर्यटन को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक कार्यक्रम और जागरूकता अभियान आयोजित करना, और चिकित्सा एवं पशु चिकित्सा शिविर लगाना शामिल है।

प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक योजना प्रक्रिया लागू है। इसमें अंतराल मूल्यांकन और गाँव की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक आधारभूत सर्वेक्षण शामिल है जिसके बाद विस्तृत ग्राम कार्य योजनाएँ (वीएपी) तैयार की जाएँगी।

कार्यक्रम की देखरेख के लिए केंद्र शासित प्रदेश और जिला दोनों स्तरों पर समितियाँ स्थापित की गई हैं जो यह सुनिश्चित करेंगी कि प्रस्ताव तकनीकी रूप से व्यवहार्य, लागत प्रभावी और कार्यक्रम के लक्ष्यों के अनुरूप हों।

(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता

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