Jharkhand

पिछडों के आरक्षण सीमा बढाने के लिए करना होगा संविधान में संशोधन : प्रदीप

प्रेस वार्ता में प्रदीप यादप

रांची, 2 अगस्त (Udaipur Kiran) । आजादी के समय यदि भाजपा का शासन होता तो पिछड़ा, दलित, आदिवासी और वंचित समाज के लिए संविधान में आरक्षण और उनके मूल अधिकार का समावेश नहीं होता।

यह बातें कांग्रेस विधायक दल नेता प्रदीप यादव ने कांग्रेस मुख्यालय में शनिवार को प्रेस वार्ता में कही।

उन्होंने कहा कि उन्होंने मोदी सरकार पर झारखंड में आरक्षण में वृद्धि संबंधित विधेयक को लटकाने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि झारखंड में लगभग 55 प्रतिशत और पूरे देश में 52 प्रतिशत आबादी पिछड़ों की है और संविधान में भी स्पष्ट रूप से पिछड़ों को शैक्षणिक आर्थिक सामाजिक रूप से संबल देने के लिए आरक्षण का प्रावधान है।

वंचित समाज को हक दिलाने के लिए छेड़ा संघर्ष

यादव ने कहा कि कांग्रेस अध्य्क्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी को लेकर वंचित समाज को हक दिलाने के लिए संघर्ष छेड़ा है। उन्होंने कहा कि क्या तभी संभव है कि जब 50 प्रतिशत आरक्षण के बैरिकेडिंग को हटा दिया जाए। इसके लिए 50 प्रतिशत की लक्ष्मण रेखा को मिटाना होगा।

तमिलनाडु में है 79 प्रतिशत आरक्षण

विधायक ने कहा कि केंद्र में नरसिम्हा राव के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की सरकार ने 1994 में 76 वां संविधान संशोधन करके उसे नौवीं अनुसूची में डाला तथा उसे कानून का रूप दिया। वहीं 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण को मिलाकर तमिलनाडु में 79 प्रतिशत आरक्षण है।

उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि जब भारत सरकार 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को तोड़कर ईडब्ल्यूएस को आरक्षण दे सकती है तो जिसकी आबादी 50 से 60 प्रतिशत के बीच है। उसके लिए सीमा क्यों नहीं तोड़ी जा सकती, कानून में संशोधन क्यों नहीं किया जा सकता है। उन्हों ने कहा कि अभी कई राज्यों ने जिसमें झारखंड सहित कर्नाटक हरियाणा, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ ने अपने विधानसभा से इस सीमा को तोड़ने का प्रयास किया है।

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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak

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