Maharashtra

डॉ प्रशांत के सीएम को दिए पत्र से पीओपी मूर्तियों पर अंकुश

Action beginst pop idols,dr Prashant
Action beginst polluted pop idols

मुंबई,17 अगस्त ( हि.स.) । ठाणे में एक कृत्रिम विसर्जन तालाब से सीधे नाले में पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की मूर्तियाँ फेंके जाने के गंभीर मामले की ओर सरकार ने आखिरकार ध्यान आकर्षित किया है। पर्यावरणविद् डॉ. प्रशांत रवींद्र सिनकर के बयान के बाद, मुख्यमंत्री कार्यालय ने आधिकारिक संज्ञान लिया और नगर विकास विभाग ने ठाणे नगर निगम को स्पष्ट रूप से कहा है, नियमानुसार कार्रवाई करें और संबंधितों को सूचित करें।

दरअसल ठाणे शहर में पर्यावरण-अनुकूल गणेशोत्सव के लिए कृत्रिम विसर्जन तालाबों की अवधारणा पिछले कई वर्षों से लागू की जा रही है, जो निश्चित रूप से सराहनीय है। लेकिन दुर्भाग्य से, यह देखा गया है कि कई बार इन कृत्रिम तालाबों में रखी पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की मूर्तियाँ बाद में नाले के जलस्रोतों में विसर्जित कर दी जाती हैं। पर्यावरणविद् डॉ. प्रशांत सिनकर ने इस संबंध में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक बयान भेजा है। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस बयान को गंभीरता से लिया है। इस सकारात्मक कदम ने पर्यावरणविदों और मछुआरों की आँखों में आशा की एक नई किरण जगा दी है। डॉ. सिनकर ने भावुक शब्दों में कहा, खाड़ी में पीओपी की मूर्तियों का विसर्जन समुद्र की साँसों को रोक रहा है। अगर सरकार समय रहते कदम उठाए, तो खाड़ी का नीला रंग और समुद्री जीवन बच जाएगा।

दिए गए बयान के संबंध में, डॉ. सिनकर ने आज बताया है कि उन्हें नगरीय विकास विभाग के प्रकोष्ठ अधिकारी अनिरुद्ध गोसावी का पत्र मिला है, इसलिए इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दिए गए बयान के संबंध में, नगरीय विकास विभाग के कक्ष अधिकारी डॉ. अनिरुद्ध गोसावी का हालिया पत्र प्राप्त हुआ है, इसलिए इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी ही बल्कि की गई कार्रवाई की शासन द्वारा जानकारी भी प्राप्त की जाएगी। यह निर्णय न केवल ठाणे के लिए, बल्कि पूरे महाराष्ट्र की खाड़ियों और तटों के लिए निर्णायक हो सकता है। पीओपी की मूर्तियों से होने वाला जल प्रदूषण न केवल समुद्र की जैव विविधता को नष्ट कर रहा है,। आज ठाणे में सदियों से मछली पकड़कर जीवन यापन करने वाले कोली समुदाय ने पर्यावरणविद डॉ प्रशांत सिनकर के द्वारा उठाए कदम की सराहना करते हुए कहा है लगता है कि पीओपी मूर्ति से जो खाड़ी में प्रदूषण फैल रहा था डॉ प्रशांत के ध्यानाकर्षण के बाद सरकार इस पर पूरी तरह अंकुश लगाकर कोई वैकल्पिक मार्ग खोजेगी ।

फिर भी, स्थानीय लोगों का सवाल बना हुआ है, क्या यह आदेश केवल कागज़ों तक ही सीमित रहेगा, या खाड़ी को बचाने के लिए कदम उठाए जाएँगे? हालाँकि, असली राहत तभी मिलेगी जब हर विसर्जन के बाद पानी नीला रहे, खाड़ी में फिर से जीवन की हलचल दिखे, और कृत्रिम तालाबों में मूर्तियों को वापस खाड़ी में फेंकने की पर्यावरण के लिए हानिकारक प्रथा हमेशा के लिए बंद हो जाए।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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