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लखनऊ में जमघट पर दिखा सियासी तड़का, आसमान में दिखेंगे मोदी-योगी और अखिलेश की पतंगों के दावपेंच

पतंग दुकानदार के यहां बिकने को लगी पीएम मोदी और सीएम योगी की पतंगें।
पतंग दुकानदार के यहां अखिलेश यादव की पतंग खरीदता बच्चा
महागठबंधन व ​बिहार के सीएम नीतीश कुमार वाली पतंगें

लखनऊ, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दीपावली के अगले दिन जमघट पर सियासी तड़का के साथ भारतीय सेना के शौर्य का परचम देखने को मिला। आकाश में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के चित्रों वाली पतंगों के पेंच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच लड़ते देख कर लोगों ने खूब आनंद उठाया। ऑपरेशन सिंदूर थीम वाली पतंगों की भी मांग खूब रही है।

लखनऊ में दीपावली के अगले दिन लखनऊ में जमघट का पर्व मनाया जाता है, जिसमें आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाई जाती हैं। इस बार जमघट पर सियासी रंग भी चढ़ा हुआ है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और अन्य नेताओं की तस्वीरों वाली पतंगें उड़ती दिखीं।

जमघट के दिन लखनऊ का आसमान इन सियासी पतंगों से भरा दिखा। नेताओं की तस्वीरें और नारे लिखी पतंगें खूब दिखीं। बिहार चुनाव के चलते भी इस बार पतंगों पर सियासत का खुमार चढ़ा दिखा। पतंगों पर महागठबंधन से लेकर नीतीश-मोदी और योगी के चित्र लोगों को खूब आकर्षित किया।

हुसैनगंज स्थित पतंग दुकानदार नसीम अहमद ने बताया कि दीपावली के अगले दिन से ही जमघट में होने वाली पतंगबाजी को लेकर बिक्री शुरू हो जाती है, लेकिन जमघट की पूर्व संध्या पर रौनक अपने चरम पर होती है। उन्होंने बताया कि लोग दर्जनों की संख्या में अलग—अलग डिजाइन की पतंगें खरीदी। साथ ही मांझे के नए किस्म और मजबूत धागों की भी खूब मांग है।

पतंग दुकानदार का कहना है कि हर साल की तरह इस बार भी हुसैनगंज का इलाका पतंगबाजी का केंद्र बन गया है। इस बार ऑपरेशन सिंदूर थीम वाली पतंगों की सबसे ज्यादा मांग है। कुछ दुकानों पर बॉलीवुड और कार्टून कैरेक्टर वाली पतंगें भी बच्चों को खूब लुभा रही हैं। वहीं राजनेताओं की पतंगों का अलग ही मांग है। पतंगबाज पीएम मोदी और योगी के साथ अखिलेश यादव वाली पतंगों को भी जमकर ले रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि लखनऊ के हुसैनगंज, चौक और अमीनाबाद के बाजारों में जमघाट के अवसर पर खास तैयारियां रहती हैं। कई परिवार पतंग उड़ाने को पारंपरिक आनंद का हिस्सा मानते हैं। आसमान में उड़ती पतंगें एक बार फिर पुराने लखनऊ की सांस्कृतिक विरासत को जीवंतता देखने को मिली। जमघट सिर्फ पतंगबाजी नहीं, बल्कि मिलन और खुशियों का एक माध्यम है, जो हर साल लखनऊ के आसमान को रंगों और उल्लास से भर देता है। इस बार बिहार चुनाव का तड़का और ऑपरेशन सिंदूर का क्रेज भी पतंगबाजों के सिर चढ़कर बोल रहा है और आकाश में उनके दावपेंच देखे जा रहे हैं।

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(Udaipur Kiran) / मोहित वर्मा

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