
—’वोट चोरी’का नाम देकर किसी राजनीतिक दल को टारगेट करना उचित नहीं
वाराणसी,18 अगस्त (Udaipur Kiran) । बिहार मेंं मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम (एसआईआर)को लेकर छिड़े राजनीतिक विवाद के बीच उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी काशी से संतों ने नेताओं से संयम और विवेक से कार्य करने की अपील की है। इस मुद्दे पर काशी सुमेरूपीठ के पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा एवं विश्वसनीयता के प्रति सभी राजनीतिक दलों को संयम और विवेक से कार्य करना चाहिए। चुनाव आयोग एक स्वायत्तशासी संस्था है। भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने में चुनाव आयोग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के मुद्दे पर चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करना उचित नहीं है। शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद ने डुमरावबाग स्थित काशी सुमेरू पीठ में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम को लेकर छिड़े विवाद पर आयोजित कार्यक्रम में अपनी बात रख रहे थे।
शंकराचार्य ने कहा कि हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम एक नियमित प्रक्रिया है। इस कार्यक्रम में घर- घर जाकर सरकारी कर्मचारी मतदाताओं का पुनरीक्षण करते है। इसमें मतदाता सूची में यदि विसंगतियां पाई जाती हैं तो सरकारी कर्मचारी उसे संशोधित करते हैं। यदि इसमें जाने—अनजाने कोई गलती भी होती है तो राजनीतिक दल एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं को भी चाहिए कि वे इसमें स्थानीय स्तर पर सुधार करवाएं। इसे ‘वोट चोरी’का नाम देकर किसी राजनीतिक दल को टारगेट करना उचित नहीं है। शंकराचार्य ने कहा कि सत्ता तो आती—जाती है। जो दल आज सत्ता में है, वह कल विपक्ष में जा सकता है। लेकिन चुनाव आयोग तो स्थायी रहेगा।’वोट चोरी’ का काल्पनिक मुद्दा उछालकर चुनाव आयोग और सत्ताधारी दल को बदनाम करना उचित नहीं है। यह देश की जनता को भ्रमित करने जैसा है। इससे भारतीय लोकतंत्र को दुनिया शक की निगाह से देखेगी।
स्वामी नरेन्द्रानंद ने कहा कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है। उसे भ्रम एवं संशय में डालना उचित नहीं है। गलतियों को सुधारने के लिए शासन ने उचित व्यवस्था की है। इसे कई स्तरों से दुरूस्त करवाया जा सकता है। इसके लिए चुनाव आयोग को ही दोषी ठहराना उचित नहीं है। शंकराचार्य ने सभी दलों के नेताओं से अपील की है कि अपनी नाकामी छिपाने के लिए एक-दूसरे पर दोषारोपण करना बंद कर दें। यदि हर चुनाव को ‘वोट चोरी’ का बहाना बनाकर गलत साबित करने की कोशिश जारी रहेगी तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
