Uttar Pradesh

पुलिस-छात्र संवाद में बच्चों को सुरक्षा, सतर्कता और सशक्तिकरण का दिया संदेश

पुलिस-छात्र संवाद

— गोमती जोन पुलिस की जागरूकता मुहिम,छात्रों को सुरक्षा और कानून की जानकारी दी जा रही

वाराणसी,26 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट गोमती जोन में छात्रों को सुरक्षा और कानून की जानकारी देने के लिए पुलिस-छात्र संवाद कार्यक्रम चलाया जा रहा है। एडीसीपी (अपर पुलिस उपायुक्त) वैभव बांगर के दिशा निर्देश पर 21 से 26 जुलाई तक गोमती जोन के समस्त थानों में गठित पुलिस टीम ने यह अभियान प्रारम्भ किया। अभियान के लिए अपर पुलिस उपायुक्त गोमती जोन ने खुद प्रेजेंटेशन (पीपीटी) तैयार किया है। इस वीडियो के माध्यम से पुलिस टीम विद्यालयों में संवाद स्थापित कर रही है। जिसमें छात्रों को सरल, प्रभावी और संवादात्मक तरीक़े से शिक्षित किया जा रहा है। पुलिस टीमों ने इस सप्ताह लगभग 35 सेकेंडरी स्कूलों का भ्रमण कर, करीब 7000 छात्र-छात्राओं को विभिन्न विषयों पर जागरूक किया।

एडीसीपी बांगर के अनुसार यह अभियान लगातार जारी रहेगा, और आगामी दो माह के भीतर गोमती जोन के समस्त सेकेंडरी स्कूलों में इसे संचालित किए जाने का लक्ष्य है। एडीसीपी का मानना है कि पुलिस अब केवल कानून का भय नहीं, बल्कि शिक्षा, सहयोग और सुरक्षा का प्रतीक बन रही है। इसी सोच के साथ गोमती जोन पुलिस यह अभियान चला रही है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल छात्रों को सुरक्षा और कानून की जानकारी देना है, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से सशक्त, आत्मविश्वासी और सामाजिक रूप से जिम्मेदार नागरिक बनाना भी है।

—पुलिस के संवाद के विषय

संवाद में यातायात सुरक्षा पर खासा जोर दिया जा रहा है। छात्रों को बताया जा रहा है कि वाहन चलाते समय सीट बेल्ट पहनना, मोबाइल फोन या हेडफोन का उपयोग न करना, केवल कानूनी बाध्यता नहीं, बल्कि स्वयं की जीवन रक्षा के लिए अनिवार्य है।

— साइबर सुरक्षा

डिजिटल युग में सुरक्षित रहना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। छात्रों को सिखाया जा रहा है कि वे अनजान लिंक, कॉल, वीडियो कॉल या संदेशों पर प्रतिक्रिया न दें। विशेष रूप से, ओटीपी को किसी भी परिस्थिति में साझा न करें चाहे सामने वाला कोई भी दावा करे।

— बाल एवं महिला सुरक्षा

‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ के अंतर को समझाकर छात्रों को संवेदनशील स्थितियों को पहचानने और निडर होकर अपनी बात कहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसी भी प्रकार के मानसिक, शारीरिक या यौन शोषण की स्थिति में, छात्रों को तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन, शिक्षक या अभिभावक से संपर्क करने की सलाह दी जाती है।

—नशा मुक्ति एवं डिजिटल अपराध से सतर्कता

छात्रों को मादक पदार्थों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दुष्परिणामों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। साथ ही, ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे साइबर अपराधों से सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है, जिससे वे ऑनलाइन ठगी या मानसिक उत्पीड़न से बच सकें। विद्यालयों में छात्रों को मौलिक अधिकार, एफआईआर की प्रक्रिया, तथा महिला हेल्पलाइन,चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर की जानकारी भी दी जा रही है।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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