
जयपुर, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग किशोरी के लापता होने के मामले में नीम का थाना पुलिस को आदेश दिए हैं कि वह लापता की बरामदगी होने तक उसे तलाश करने के लिए किए जा रहे प्रयास की मासिक रिपोर्ट जिला पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश करें। वहीं अदालत ने मामले में पुलिस अधीक्षक को मॉनिटरिंग करने को कहा है। जस्टिस अवनीश झिंगन और जस्टिस बीएस संधू की खंडपीठ ने यह आदेश रेणु की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा करते हुए दिए। अदालत ने कहा है कि यदि याचिकाकर्ता असंतुष्ट हो तो वह जांच की निगरानी के लिए संबंधित मजिस्ट्रेट से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र है। अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन करे तो संबंधित न्यायालय विधि अनुसार मामले पर तत्काल विचार करे। अदालत ने माना कि प्रकरण अवैध हिरासत का नहीं है। ऐसे में मामले में पुलिस और एसपी को निर्देश दिए जा रहे हैं।
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में अधिवक्ता ऋषभ तायल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की नाबालिग बेटी गत 10 जुलाई से लापता है। काफी तलाश करने पर भी उसका पता नहीं चला। इस पर उसने 11 जुलाई को नीम का थाना पुलिस थाने में कुछ लोगों पर शक जताते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई। याचिका में कहा गया कि करीब तीन माह का समय बीतने के बाद भी अभी तक पुलिस ने मामले में कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है और लापता किशोरी का कोई पता नहीं चला है। ऐसे में पुलिस को निर्देश दिए जाए कि वह उसकी लापता बेटी को बरामद करे। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस और जिला एसपी को निर्देश जारी करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया है।
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(Udaipur Kiran)
