
–मुजफ्फरनगर के डीएम और एसएसपी तलब
प्रयागराज, 23 जून (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के दुरुपयोग पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पुराने मुकदमे में गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई करने पर मुजफ्फरनगर के डीएम, एसएसपी और संबंधित थाना प्रभारी खालापार को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
मंशाद उर्फ सोना की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने याची की अंतरिम ज़मानत मंजूर करते हुए दिया है।
कोर्ट ने मंशाद को बार-बार गैंगस्टर अधिनियम के तहत जेल भेजने पर नाराज़गी जताई। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कदम न केवल एसएचओ की मनमानी को दर्शाता है बल्कि साथ ही संबंधित एसएसपी व डीएम की ओर से भी गंभीर लापरवाही और वैधानिक कर्तव्य के प्रति उदासीनता को उजागर करता है।
पीठ ने कहा कि यूपी गैंगस्टर्स रूल्स 2021 के नियम 5(3)(ए) के अनुसार ऐसे मामलों में कार्रवाई से पहले वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उचित विवेक और मूल्यांकन जरूरी है। इसके बावजूद इस मामले में नियमों की खुली अवहेलना की गई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में गैंगस्टर एक्ट का यांत्रिक और दोहरावपूर्ण इस्तेमाल न केवल न्यायपालिका के निर्देशों की अवहेलना है, बल्कि नागरिक स्वतंत्रता के लिए भी खतरा है।
मुजफ्फरनगर के खालापार थाने में सोना के खिलाफ दर्ज मुकदमे के आधार पर गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही की गई। ट्रायल कोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने पर उसने यह अपील दाखिल की। याची की ओर से कहा गया कि पुराने मामलों के आधार पर बार-बार गैंगस्टर एक्ट लगाना मनमाना है और कानून की प्रक्रिया का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा सुप्रीम कोर्ट पहले ही गैंगस्टर अधिनियम के दुरुपयोग पर चिंता जता चुका है और 2024 में उत्तर प्रदेश सरकार को इसके क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश तय करने का आदेश दिया था। इसके तहत दो दिसंबर 2024 को राज्य सरकार ने एक विस्तृत चेकलिस्ट जारी की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी वैधता प्रदान की है। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए सात जुलाई की तारीख लगाते हुए अधिकारियों को उपस्थित होकर अपने आचरण का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
