RAJASTHAN

खड़गे को जान से मारने की साजिश के आरोपों में पुलिस ने लगाई अंतिम रिपोर्ट

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर फाइल फोटो

जयपुर, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की हत्या की साजिश रचने के आरोपों पर दर्ज एक मुकदमे में पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट (एफ़आर) दाखिल कर दी है। रिपोर्ट में उक्त आरोपों को तथ्यों की भूल बताते हुए मामला निराधार पाया गया है। न्यायालय ने इस अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।

यह मामला 8 मई 2023 को जयपुर के संजय सर्किल थाने में कांग्रेस नेता राम सिंह कसवा की शिकायत पर दर्ज किया गया था। इसमें भाजपा नेता एवं वर्तमान में राजस्थान के शिक्षा व पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर और मणिकांत राठौर को नामजद किया गया था। एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 504, 502(2), 506(2), 302/120-बी और अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं 3(आर) व 3(एस) के तहत मामला दर्ज हुआ था।

शिकायत में आरोप था कि सोशल मीडिया पर वायरल एक ऑडियो क्लिप और प्रिंट मीडिया में प्रकाशित खबरों से यह जानकारी मिली कि भाजपा के कुछ नेता कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को उनके परिवार सहित जान से मारने की साजिश रच रहे हैं। आरोपों में कहा गया कि भाजपा के नेता मणिकांत राठौर ने एक बातचीत में कहा कि यदि खड़गे का मोबाइल नंबर मिल जाए तो वह उन्हें जान से मार देगा। वहीं, मदन दिलावर ने कथित रूप से खड़गे की उम्र का हवाला देते हुए बयान दिया था कि भगवान उन्हें कभी भी अपने पास बुला सकते हैं।

अनुसंधान के दौरान मामले की जांच सहायक पुलिस आयुक्त (कोतवाली) नरेंद्र कुमार द्वारा की गई। बाद में पुलिस उपाधीक्षक नानग राम मीणा ने अंतिम रिपोर्ट संख्या 60/2024 दिनांक 30 दिसंबर 2024 को दाखिल की। रिपोर्ट में कहा गया कि जांच में किसी भी प्रकार का आपराधिक षड्यंत्र अथवा हत्या की योजना के साक्ष्य नहीं मिले हैं।

पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि मदन दिलावर के बयान को राजनीतिक संदर्भ में दिया गया वक्तव्य माना गया और उसमें किसी प्रकार की हिंसा, घृणा या जाति सूचक भाषा का प्रयोग नहीं पाया गया। साथ ही यह भी उल्लेख किया गया कि खुद मदन दिलावर अनुसूचित जाति से आते हैं, ऐसे में उनके द्वारा जातिगत अपमान की संभावना नहीं बनती।

पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, मणिकांत राठौर और एक अन्य व्यक्ति के बीच हुई आपसी बातचीत को शिकायतकर्ता द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर गंभीर अपराध की श्रेणी में प्रस्तुत किया गया। यह बातचीत न तो शिकायतकर्ता की उपस्थिति में हुई और न ही खड़गे के सामने। न्यायालय एसीजेएम-02, जयपुर सेकंड ने इस अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार कर मामले को समाप्त कर दिया है।

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(Udaipur Kiran)

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