
उज्जैन, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के उज्जैन में घंटाघर चौक पर शुक्रवार को अचानक भारी पुलिस बल, वाहन और एंबुलेंस के पहुंचने से लोगों में सनसनी फैल गई। कुछ ही देर में पुलिस और दंगाई बने पुलिसकर्मियों के बीच पथराव, लाठीचार्ज और गोलीबारी जैसे दृश्य देखकर लोग चौंक गए। कुछ ही देर में पता चला कि यह कोई असली घटना नहीं बल्कि पुलिस की मॉक ड्रिल है। अधिकारियों का कहना था कि इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य दंगा नियंत्रण और आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की तैयारी और पूर्व परीक्षण करना था।
किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस द्वारा मॉक ड्रिल की जाती हैं। यह ड्रिल अभी तक पुलिस लाइन में की जाती थी। लेकिन अब लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से मॉक ड्रिल घंटाघर चौक पर शुक्रवार सुबह आयोजित की गई। मॉक ड्रिल में इस बार आम नागरिकों को आंदोलनकारी टीम का हिस्सा बनाकर, उनके हाथों में कागज के पत्थर थमाए गए और नारे लगाते हुए उन्हें पुलिस पर फेंकने के लिए कहा गया। उत्साही लोगों ने इस नाटकीय अभ्यास का आनंद लिया, वहीं आम नागरिकों ने नजदीक से देखा कि जिले की पुलिस दंगा और बलवा रोकने में कितनी सक्षम है।
यातायात किया डायवर्ट
मरीज की मौत से आक्रोशित भीड़ और नारेबाजी के बाद चक्काजाम का दृश्य तैयार कर दंगाइयों का नेतृत्व भी पुलिस अधिकारियों ने किया। आंसू गैस के गोले दागकर भीड़ को काबू में करने की कार्रवाई की गई। लाठी टीम, रिजर्व टीम, वैपन टीम, घुड़सवार दल जैसी विभिन्न पुलिस टीमों ने दंगाइयों को रोकने की तैयारी का प्रदर्शन किया। दंगाइयों के घायल होने पर मेडिकल राहत टीम ने उन्हें उठाकर एंबुलेंस से अस्पताल भेजने की प्रक्रिया का अभ्यास किया। यह मॉक ड्रिल करीब दो घंटे तक चली। इस दौरान घण्टाघर चौक पर यातायात डायवर्ट कर दिया गया था।
एएसपी और आरआई संभाल रहे थे कमान
मॉक ड्रिल एएसपी गुरुप्रसाद पाराशर और आरआई रणजीतसिंह राणा के मार्गदर्शन में हुई। सीएसपी श्वेता गुप्ता, दीपिका शिंदे, पुष्पा प्रजापति और राहुल देशमुख अलग-अलग पुलिस टीमों को लीड कर रहे थे। जबकि संबंधित थाना क्षेत्रों के टीआई ने अपनी-अपनी टीम की कमान संभाली। शहर और पुलिस लाइन का बल, एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन सेवाएं इसमें शामिल रहीं।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
