
रांची,20 अगस्त (Udaipur Kiran) । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से जारी जांच के दौरान पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत पाये गये हैं। जांच में पाया गया है कि उसने 20 करोड़ रुपये से अधिक की राशि की मनी लॉन्ड्रिंग की है। जांच के दौरान इससे संबंधित साक्ष्य मििलने के बाद ईडी ने बुधवार को उसे गिरफ्तार किया। वह पहले सेही पलामू जेल में बंद है। ईडी की स्पेशल कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दिनेश गोप को पेश किया गया। जहां से कोर्ट ने दिनेश गोप को 14 दिन के न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
ईडी ने वर्ष 2024 में इसीआईआर दर्ज कर दिनेश गोप के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की थी। जांच के दौरान पाया गया कि उसने व्यापारियों और ठेकेदारों से लेवी के रूप में जबरन पैसों की वसूली की। व्यापारियों और ठेकेदारों से लेवी वसूली के लिए उनसे एक सशक्त गिरोह तैयार कर रखा था।
लेवी के रूप में मिले पैसों को लगाता था शेल कंपनियों में
यह गिरोह दिनेश गोप के निर्देश पर सुनियोजित तरीके से लेवी की वसूली करता था। इसके बाद लेवी के रूप में मिले पैसों को शेल कंपनियों के सहारे से बैंकों के जमा करता था। लेवी के रूप में मिले पैसों को शेल कंपनियों के सहारे बैंक में जमा करने का उद्देश्य नाजायज कमायी को जायज करार देने की कोशिश करना है। मामले की जांच के दौरान दिनेश गोप की नाजायज आय को देश की अर्थव्यवस्था में शामिल करने वाली काफी शेल कंपनियों की पहचान की जा चुकी है।
इनमें से कुछ कंपनियां दिनेश गोप की दोनों पत्नियों के अलावा आपराधिक सहयोगियों के नाम पर बनायी गयी है। दिनेश ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कोलकाता के अलावा दूसरे राज्यों की भी शेल कंपनियों का सहारा लिया है। साथ ही इन पैसों के संपत्ति अर्जित की है। इसके अलावा लेवी के रूप में मिले पैसों का इस्तेमाल अत्याधुनिक हथियार खरीदने और संगठन को चलाने पर खर्च किया गया है। दिनेश गोप के मामले में आगे की जांच जारी है।
उल्लेखनीय है कि टेरर फंडिंग मामले में एनआईए के हाथों 21 मई 2023 को नेपाल से गिरफ्तारी के बाद से ही दिनेश गोप न्यायिक हिरासत में है। उसपर गिरफ्तारी के पूर्व झारखंड सरकार ने 25 लाख और एनआईए ने पांच लाख रुपये का इनाम रखा था।
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
