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जर्जर मकान की जांच के नाम पर निगम में खेल

िनगम

जयपुर, 19 सितंबर (Udaipur Kiran News) । चारदीवारी में पिछले 12 दिन में दूसरी बार मकान गिरने से अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है और कई लोग घायल को चुके है। हेरिटेज निगम अब तक कई बार जर्जर मकानों का सर्वे कर चुका है। लेकिन सर्वे में जर्जर मकान की जांच के नाम पर निगम के अधिकारी खेल कर रहे है।

पिछले दिनों मकान गिरने के बाद निगम ने चुनिंदा मकानों को गिराया था लेकिन बाकी मकानों को हादसों के लिए छोड़ दिया। 12 दिन पहले गिरे मकान के बाद निगम ने फिर से यह सर्वे करवाया था कि मकान गिरने वाला है या नहीं, इसी आधार पर आगे की कार्य योजना बनाने की बात कहीं गई थी,लेकिन फिर यह हादसा हो गया। आखिर निगम की जांच का पैमाना क्या है और कैसे तय होता है मकान के गिरने या न गिरने का आधार इस पर अपने आप में सवाल खड़ा हो रहा है।

हेरिटेज निगम उपायुक्त सीमा चौधरी ने बताया कि 40 जर्जर चिन्हित किए गए थे। गिरने वाला मकान उसे माना जाता है जिसमें दरारे आ रही हो, और चूना गिर रहा है। यूं कह सकते है जो मकान हिस्सों में बंट गया हो और उसमें से मैटेरियल गिरने लगा हो। जो मकान गिरा है उसके मालिक को नोटिस दिया था और मालिक को मैसेज करवाया था । मकान के चारों तरफ दीवार है और एक कोने में गार्ड रुम बना हुआ था , समझाइश भी करवाई थी। सीएसआई-एसआई , जेईएन और उसके अधिकारियों की टीम सर्वे करती है। गिरने वाला एक मकान था जिसे पिछले दिनों कार्रवाई में गिरा दिया था। बाकी को नोटिस देकर मरम्मत करवाने को कहा गया था। इसके लिए उनसे लिखवाया भी गया था। गांधी चौक आमेर में एक जर्जर मकान था, नोटिस देने के बाद मकान मालिक ने उसे खुद गिरा लिया। गौरतलब है कि वल्र्ड हेरिटेज में शुमार परकोटा में गुरुवार को 12 दिन में दूसरी बार हादसा हुआ। एक जर्जर मकान की छत के नीचे दबकर बुजुर्ग महिला धन्नीबाई (60) की मौत हो गई। उन्हें बचाने गई बहू सुनीता (35) गंभीर घायल है। हादसे में दो बच्चे बाल-बाल बच गए।

हेरिटेज निगम के 4 जोन में 178 मकान इसी तरह जर्जर हो चुके हैं। इनके मालिकों को नोटिस देकर महज खानापूर्ति की जा रही है। कई मकानों में अवैध फैक्ट्रियां तक संचालित हो रही हैं। नोटिस पर नोटिस, एक्शन नहीं लेने को लेकर अधिकारी जर्जर हो चुके मकान के मालिकों को नोटिस जारी होने के दावे तो कर रहे हैं। लेकिन जांच में सामने आया कि नोटिस तामील नहीं करवाए गए। कर्मचारी नोटिस लेकर जाते हैं। लेकिन वहां असली मालिक नहीं मिलते। ऐसे में कर्मचारी मकान के बाहर वह नोटिस चस्पा कर खानापूर्ति कर देते हैं। नोटिस देने के बाद कोई फॉलोअप नहीं होता। निगम अधिकारियों का कहना है कि मकान मालिकों की तरफ से जवाब नहीं दिया जाता, तब उन्हें दूसरा नोटिस भेजा जाता है। गुरुवार को जहां हादसा हुआ उस बिल्डिंग को गिराने के लिए मकान मालिक को 12 अगस्त को नोटिस दे दिया गया था। लेकिन मकान मालिक प्रदीप शाह ने नोटिस नहीं मिलने की बात कहीं।

रेजिडेंशियल एरिया में चल रहीं फैक्ट्रियां, रंगाई-छपाई, रत्नों का काम

परकोटे में ज्यादातर मकानों को उनके मालिकों ने व्यवसायियों को किराए पर दे रखा है। 12 दिन पहले इसी क्षेत्र में 4 मंजिला हवेली भरभराकर गिर गई थी,जिसमें पिता-बेटी की मौत हो गई थी। उस मकान के कमरे में भी रत्नों की घिसाई का काम चलता था। इन रहवासी मकानों में अवैध रूप से व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं। लेकिन इस तरफ निगम का कोई ध्यान नहीं है। इस इलाके में बड़े स्तर पर कपड़ा, नगीने का काम होता है। कभी निगम ने सर्वे नहीं करवाया।

170 से ज्यादा मकान जर्जर

किशनपोल में सबसे ज्यादा नगर निगम जयपुर हेरिटेज के चार मुख्य जोन किशनपोल, हवामहल, आदर्श नगर और सिविल लाइंस में 170 से ज्यादा मकान जर्जर चिह्नित हैं। नियमानुसार इन्हें नोटिस देकर ध्वस्त करना था। परकोटा इलाके के किशनपोल जोन में सबसे ज्यादा 79 जर्जर भवन हैं।

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(Udaipur Kiran) / राजेश

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