
जोधपुर, 06 सितम्बर (Udaipur Kiran) । पितृपक्ष की शुरुआत सात सितंबर को चंद्रग्रहण के साथ होगी। वहीं समापान 21 सितंबर को पितृ अमावस व सूर्यग्रहण के साथ होंगे। श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के बाद 22 सितंबर से नवरात्र प्रारम्भ हो जाएंगे।
सात सितंबर को ग्रहण के साथ श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो रहा है, इसलिए सूतक लगने से पहले इस दिन का श्राद्ध निकाला जाएगा। चंद्र ग्रहण सात सितम्बर की रात 9.57 बजे से प्रारम्भ होकर रात 1.27 बजे तक रहेगा। इसका सूतक काल सात सितम्बर को दोपहर 12.57 बजे से शुरू होकर ग्रहण की समाप्ति तक चलेगा।
पितृ पक्ष में प्रत्येक तिथि का महत्व है क्योंकि उसी दिन पितरों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे इस अवधि में विधिवत श्राद्ध, तर्पण और पिण्डदान करें और पंडितों द्वारा बताए गए समय और तिथियों का ध्यान रखें।
मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक किए गए इन कर्मों से पितर प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पूर्णिमा तिथि को देवलोक हुए पूर्वजों का श्राद्ध अमावस्या को करना चाहिए, जिन पूर्वजों की मृत्यु तिथि का पता नहीं है, उन सभी का श्राद्ध भी अमावस्या को होता है। लोक परंपरा में भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने की परंपरा है। लेकिन शास्त्र नियम के अनुसार उस दिन जो श्राद्ध होता है। वह पिता से ऊपर की तीन पीढ़ी का श्राद्ध होता है। जिसे प्रोष्ठपदी श्राद्ध कहते है।
(Udaipur Kiran) / सतीश
