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बीएचयू के लापता छात्र की जनहित याचिका निस्तारित

इलाहाबाद हाईकाेर्ट

–उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट से त्वरित सुनवाई की उम्मीद जताई

प्रयागराज, 17 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लापता बीएचयू छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के मामले में ट्रायल कोर्ट से अपेक्षा की है कि मामले की त्वरित सुनवाई की जाएगी। यह टिप्पणी मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने जनहित याचिका निस्तारित करते हुए की है।

पांच वर्ष पूर्व 13 फरवरी 2020 को लंका पुलिस की अभिरक्षा से संदिग्ध परिस्थिति में गायब बीएचयू छात्र शिव कुमार त्रिवेदी मामले में खंडपीठ ने कहा कि मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप व कई आदेश के बाद जांच के बाद दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध राज्य सरकार ने मुकदमा चलाने कि अनुमति दे दी और दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध चार्जशीट भी सम्बंधित न्यायालय के समक्ष दाखिल कर दिया गया है। ऐसे में ट्रायल कोर्ट के पास मामले का संज्ञान लेने का पर्याय प्रावधान है।

याची अधिवक्ता ने बहस के दौरान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 की धारा 100 के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ पुलिस वाले, जो सीधे तौर पर इस प्रावधान के तहत दोषी हैं, उन्हें पुलिस ने जांच में दोषमुक्त करार दिया है एवं जांच में बचाने का प्रयास किया गया है।

गौरतलब है कि, अधिवक्ता सौरभ तिवारी के पत्र का संज्ञान 19 अगस्त 2020 को तत्कालीन मुख्य न्यायमूर्ति गोंविद माथुर ने लिया था। मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 29 अक्टूबर 2020 को राज्य सरकार ने सीबीसीआईडी को मामले की जांच सौंपी थी। जांच के बाद पता चला कि शिव कुमार त्रिवेदी की मानसिक हालत ठीक नहीं थी और 15 फरवरी 2020 को उसकी रामनगर स्थित कुतुलपुर पोखरी में डूबकर को मौत हो गई थी।

मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष भारत भूषण तिवारी सहित कुल आठ पुलिसकर्मियों के विरुद्ध ड्यूटी में लापरवाही बरतने, चिकित्सकीय सुविधा नहीं उपलब्ध कराने को लेकर आईपीसी की धारा 166 एवं 304-ए के तहत 17 अगस्त 2022 को एफआईआर दर्ज की गई। विवेचना के बाद हेड कांस्टेबल विजय कुमार यादव, कांस्टेबल शैलेंद्र कुमार सिंह व होमगार्ड संतोष कुमार के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया गया जबकि पांच अन्य पुलिसकर्मियों को दोषी नहीं पाया गया।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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