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बिना एफिलिएशन डिग्री जारी करने पर लाचू कॉलेज के खिलाफ पीआईएल

jodhpur

जोधपुर, 04 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने लाचू मेमोरियल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के बिना उचित एफिलिएशन के डिग्री जारी करने के मामले में दायर पीआईएल को स्वीकार करते हुए जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय और यूजीसी को नोटिस जारी किया है। जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस संदीप तनेजा की खंडपीठ ने बीएस मेमोरियल शिक्षण एवं विकास संस्थान की ओर से दायर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए संबंधित पक्षों को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है।

पीआईएल में आरोप लगाया गया है कि लाचू मेमोरियल कॉलेज वर्ष 1965 में स्थापित होकर विभिन्न कोर्सेस जिनमें- बीसीए, एमसीए, डी.फार्मा, एम.फार्मा, बीएससी, एमएससी, बीबीए और एमबीए चला रहा है। कॉलेज को साल 2012 में यूजीसी से ऑटोनॉमस स्टेटस मिला था और जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ने 10 अगस्त 2013 को सभी कोर्सेस के लिए परमानेंट एफिलिएशन दे दिया था। याचिका में दावा किया गया है कि लाचू मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी ने यूजीसी से ऑटोनॉमस स्टेटस प्राप्त करने के लिए गलत तरीके से अपने चार अलग-अलग कॉलेजों को एक कॉलेज के रूप में प्रस्तुत किया था। इसके परिणामस्वरूप अनधिकृत डिग्रियां वितरित हो रही हैं। पेटीशनर के अनुसार, तकनीकी कोर्सेस के लिए राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी या बीकानेर टेक्निकल यूनिवर्सिटी से एफिलिएशन जरूरी है। वहीं, फार्मेसी कोर्सेस के लिए राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज से संबद्धता जरूरी है।

जेएनवीयू ने अधिकार क्षेत्र से बाहर दिया एफिलिएशन

याचिका में स्पष्ट किया गया है कि राजस्थान में तकनीकी शिक्षा के लिए बीकानेर टेक्निकल यूनिवर्सिटी एक्ट 2017 लागू है। स्वास्थ्य विज्ञान क्षेत्र में शिक्षा के लिए राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज एक्ट 2005 बनाया गया है। इसके बावजूद जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ने ऐसे कोर्सेस के लिए एफिलिएशन दे दिया है, जो उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। पीआईएल के अनुसार, कॉलेज ने सत्र 2025-26 के लिए बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी और बी.टेक इंजीनियरिंग प्रोग्राम भी शुरू किया है। फिजियोथेरेपी कोर्स का फर्स्ट सेमेस्टर का रिजल्ट वर्ष 2024 में घोषित करके 8 मई 2025 को मार्कशीट भी जारी की गई है।

आरटीआई से मिली जानकारी में खुली पोल

याचिकाकर्ता ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत यूजीसी, जेएनवीयू, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया और एआईसीटीई से जानकारी मांगी थी। यूजीसी ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि एक सोसाइटी द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न निजी स्व-वित्त पोषित कॉलेजों को अलग-अलग ऑटोनॉमस स्टेटस लेना चाहिए। इसी तरह, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने आरटीआई जवाब में बताया कि उसने लाचू मेमोरियल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी फार्मेसी को एक अलग कॉलेज के रूप में अप्रूवल दिया है। वहीं एआईसीटीई ने स्पष्ट किया कि वह लाचू कॉलेज एमबीए और लाचू कॉलेज एमसीए को अलग-अलग कॉलेजों के रूप में मान्यता देता है। यूजीसी ने सात जनवरी के पत्र के माध्यम से जेएनवीयू को जांच करने और आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया था। विश्वविद्यालय ने एक फरवरी के पत्र से जवाब दिया था कि एक कमेटी गठित की गई है। इससे सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट मांगी गई है। पेटीशनर के अनुसार, इसके कई महीनों बाद भी अब तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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