
प्रयागराज, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बरेली बवाल के दाैरान आपत्तिजनक नारेबाजी और पुलिस पर तेज़ाब, ईट-पत्थरों से हमला और फायरिंग की घटना के मुख्य आरोपित नदीम को राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने घटना को गंभीर मानते हुए प्राथमिकी रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोकने की मांग वाली याचिका खारिज़ कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिया है। याची के वकील का कहना था कि याची घटना में शामिल नहीं थे। उसे बाद में इस मामले में झूठा फंसाया गया है। प्रदेश सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम परितोष कुमार मालवीय ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि बवाल न सिर्फ उन्मादी नारे लगाए गए बल्कि पुलिस पर फायरिंग की और तेज़ाब फेंका गया, इससे दो कांस्टेबलों को चोटें आई। उनकी वर्दियां भी फाड़ दी गई। भीड़ में शामिल लोग बड़ी घटना को अंजाम देने की कोशिश में थे। मालवीय ने बताया कि याची उनका नेतृत्व कर रहा था। इससे पूर्व भी इस कोर्ट से इस मामले में अन्य आरोपितों की याचिकाएं खारिज़ हो चुकी हैं। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि प्रथमदृष्टया आरोप गंभीर हैं। इसमें विवेचना की जरूरत है। प्राथमिकी रद्द करने का कोई आधार नहीं है।
मामले के तथ्यों के अनुसार कानपुर में आई लव मोहम्मद पर कार्रवाई के विरोध में 26 सितम्बर को आईएमसी के मौलाना तौकीर रज़ा के आह्वान पर इस्लामिया कॉलेज ग्राउंड में प्रदर्शन के लिए जुलूस निकाला गया। जुलूस में शामिल लोग सिर तन से जुदा जैसे आपत्तिजनक नारे लगा रहे थे। पुलिस ने उन्हें रोका तो भीड़ हमलावर हो गई और पुलिसकर्मियों से मारपीट की गई। पुलिस ने 52 नामजद और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे