
मुरैना, 4 सितम्बर (Udaipur Kiran) । चम्बल की बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे आमलीपुरा की एक हजार से अधिक की आबादी बीहड़ के टापुओं पर तंंबुओं में रहने को मजबूर हैं। इस बारिश के कारण हर पल उन पर खतरा मंडरा रहा है। न तो यहां बिजली पानी की पर्याप्त व्यवस्था है। अगर कोई बीमार हो जाए तो अस्पताल तक ले जाने के लिए मुनासिब रास्ता भी नहीं है। इस प्राकृतिक प्रकोप के कारण गांववासी काफी भयभीत है। प्रशासन को भी इन लोगों की कोई सुध नहीं है। जबकि चुनाव के वक्त नेताओं को इनकी याद आ जाती है। मुसीबत के समय कोई याद भी नहीं करता।
मुरैना जिले की आदिवासी बाहुल्य जनपद पंचायत पहाडगढ़़ की ग्राम पंचायत चिन्नोनी चंबल का मजरा आमलीपुरा चम्बल नदी के ठीक ऊपर टापूओं पर बसा हुआ है। लगभग 300 घर की मल्लाह केवट समाज की यह बस्ती खेती से जीवन यापन करती हैं।
आजादी के बाद से इस गांव तक पहुंच मार्ग नहीं है, ग्राम पंचायत मुख्यालय चिन्नोनी चंबल से आमलीपुरा तक का रास्ता कीचड़ व बीहड से परिपूर्ण हैं। लगभग 3 किलोमीटर का सफर बीहड़ के दर्रों से निकलकर आमलीपुरा तक पूरा होता है। विशेषकर वर्षाकाल के दौरान यह रास्ता अत्यधिक दुर्गम हो जाता है। वर्षा के दौरान पगड्डी वाले मार्ग पर बीहड़ की करार (मिट्टी के टीलें) गिरतीं रहतीं हैं। जिससे इनका आवागमन हमेशा जोखिम भरा रहता है। यह मार्ग ही इनके विकास में बड़ा अवरोध है। वहीं बिजली व पानी पर्याप्त न होने से जीवन यापन का संकट बना रहता है। पहले से ही बीहड़ के दर्रो से निकले रास्तों के कारण गांव तक आवागमन से परेशान यह ग्रामीण बाढ़ के साथ-साथ पानी व बिजली के लिये भी अत्यधिक परेशान है। वर्षाकाल के दौरान बीहड़ के टापूओं पर तंबूओं के सहारे आसरा लिये ग्रामीणों पर आज भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। राजस्थान व मध्यप्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में हो रही बारिश से जैसे ही च बल नदी का पानी बीहड़ों के दर्रो में आने लगता है वैसे ही 300 घरों की यह बस्ती भयभीत हो जाती है। समय पर न स्वास्थ्य सेवायें हैं और न ही बिजली पानी की बेहतर व्यवस्था।
कच्चे रास्ते पर कई जगह दल-दल बना –
बीहड़ी मार्ग में कई स्थानों पर पानी निकलकर च बल नदी की ओर जाता दिखाई देता है। इससे रास्ते में कई स्थानों पर दल-दल बन जाता है। इससे निकलते समय जान जाने का खतरा बना रहता है। पानी का यह स्थान जंगली जानवरों को आमंत्रित करते हैं। इससे आमलीपुरा के ग्रामीणों आवागमन में भय बना रहता है।
कई दिन तक भूख और प्यास से रहना पड़ता –
सर्दी व गर्मी मौसम में अव्यवस्थाओं के साथ जीवन यापन करने वाले आमलीपुरा के लोग वर्षाकाल में कई दिनों तक घर छोडकऱ भूखे-प्यासे रहने को मजबूर होते हैं। अपने घरों से सामान लेने के लिये 3 किलोमीटर तक सफर करने वाले इन ग्रामीणों को कभी-कभी रात के दौरान ग्राम पंचायत मु यालय चिन्नोनी पर ही बसेरा करना पड़ता है। रात में बीहड़ी मार्ग का सफर जोखिम भरा होता है वर्षाकाल में इस बार च बल में आई दो बार बाढ़ के कारण ग्रामीण एक से डेढ़ महीने तक ऊंचे टीलों पर बने रहे। लौटकर आये तब अपने घर की सफाई में ही समय बीत रहा है।
कोई बीमार हो जाए तो अस्पताल तक ले जाना मुश्किल –
चिन्नोनी निवासियों का कहना है कि आमलीपुर गांव में करीब एक हजार लोग है। बाढ़ के कारण रास्ता बंद हो जाता है। कई जगह दलदल बन जाता है। अगर गांव में कई बीमार हो जाए तो अस्पताल तक लाना मुश्किल हो जाता है। इस गांव के लोग काफी मुसीबत झेल रही है। मैने जबसे होश संभाला है इस गांव के लिए कोई सुविधाएं नहीं दी गई।
हिन्दुस्थान समाचार/उपेंद्र
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(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा
