Jammu & Kashmir

पीडीपी विधायक पारा ने सामाजिक श्रेणी प्रमाण पत्र जारी करने में जम्मू-कश्मीर में तीव्र विभाजन की ओर किया इशारा

श्रीनगर, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पीडीपी विधायक वहीद पारा ने मंगलवार को कहा कि पिछले दो वर्षों में जम्मू संभाग और कश्मीर घाटी के बीच सामाजिक श्रेणी प्रमाण पत्र जारी करने में एक तीव्र क्षेत्रीय विभाजन देखा गया है जिसने निष्पक्षता, समानता, योग्यता और प्रशासनिक निष्पक्षता के गंभीर उल्लंघन को उजागर किया है। पारा की यह टिप्पणी राजस्व विभाग द्वारा विधानसभा में उठाए गए एक प्रश्न के उत्तर में साझा किए गए आंकड़ों पर आई है।

उनके प्रश्न के उत्तर में सरकार ने कहा कि जम्मू क्षेत्र में 69,704 अनुसूचित जाति (एससी) प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं जबकि कश्मीर घाटी में 474, जो जम्मू में 99.2 प्रतिशत और कश्मीर में 0.67 प्रतिशत के बराबर है।

राजस्व विभाग के प्रभारी मंत्री ने कहा कि जम्मू में 5,25,778 (87.2 प्रतिशत) अनुसूचित जनजाति (एसटी) प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं जबकि कश्मीर में 76,656 (12.7 प्रतिशत) जारी किए गए हैं।

उत्तर में बताया गया है कि ओबीसी श्रेणी के लिए जम्मू में 43,438 (56.6 प्रतिशत) और कश्मीर में 33,226 (43.4 प्रतिशत) प्रमाण पत्र जारी किए गए।

इसी प्रकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए जम्मू क्षेत्र में 18,945 (88.5 प्रतिशत) प्रमाण पत्र जारी किए गए जबकि घाटी में 2,441 (11.4 प्रतिशत) प्रमाण पत्र जारी किए गए।

उत्तर में बताया गया है कि पिछड़े क्षेत्रों के निवासी (आरबीए) श्रेणी के तहत जम्मू के लोगों के लिए 15,595 (कुल का 32.9 प्रतिशत) प्रमाण पत्र जारी किए गए जबकि कश्मीर के लोगों के लिए 31,804 (67.1 प्रतिशत) प्रमाण पत्र जारी किए गए।

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एएलसी) श्रेणी के तहत जम्मू को 2,796 (85.2 प्रतिशत) प्रमाण पत्र मिले जबकि कश्मीर के लिए 484 (14.7 प्रतिशत) प्रमाण पत्र जारी किए गए।

पारा ने कहा कि ये आँकड़े पिछले दो वर्षों में प्रमाणपत्र जारी करने में एक तीव्र क्षेत्रीय विभाजन को दर्शाते हैं। पुलवामा से विधायक ने कहा कि ये आँकड़े सामाजिक श्रेणी प्रमाणपत्रों के वितरण में एक स्पष्ट क्षेत्रीय असमानता को उजागर करते हैं जो जम्मू-कश्मीर के कल्याणकारी ढाँचे के मूल में निष्पक्षता, समानता, योग्यता और प्रशासनिक निष्पक्षता के गंभीर उल्लंघन को उजागर करते हैं।

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि हम आरक्षण नीति को जनसंख्या के अनुपात में तर्कसंगत बनाने की माँग कर रहे हैं।

(Udaipur Kiran) / सुमन लता

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