
—बीएचयू में “समावेशी शिक्षा एवं रोजगार अवसर” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
वाराणसी,22 नवम्बर (Udaipur Kiran) । पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. संजय पासवान ने शनिवार को कहा कि समावेशी शिक्षा केवल पुस्तकों का विषय नहीं है, यह लोकतंत्र की आत्मा है। यदि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े विद्यार्थी को अवसर नहीं मिलेगा, तो राष्ट्र विकास अधूरा रहेगा। यह विषय समाज को जोड़ने का काम कर रहा है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री बीएचयू में सेंटर फार द स्टडी आफ सोशल इन्क्लूज़न की ओर से आयोजित “समावेशी शिक्षा एवं एस.सी./एस.टी. समुदाय के विद्यार्थियों के रोजगार अवसर” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
विश्वविद्यालय के समाज विज्ञान संकाय, अर्थशास्त्र विभाग के सम्मेलन कक्ष में प्रो. संजय ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि आज एससी/एसटी समुदाय के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा, तकनीकी क्षेत्र और सरकारी गैर सरकारी रोजगार क्षेत्रों में अपार संभावनाएँ मौजूद हैं। समारोह के मुख्य अतिथि सदस्य, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली डॉ. आशा लाकड़ा ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का सही लाभ तभी मिलेगा जब छात्र जागरूक और सक्रिय रहेंगे।
विशिष्ट अतिथि, बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार एवं बीएचयू–जेएनयू के पूर्व छात्र डॉ. सागर ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया कि किस तरह उन्होंने 5,000 रुपये से शुरू करके प्रति गीत 5 लाख रुपये तक की उपलब्धि हासिल की। उन्होंने लोकप्रिय गीत “आइए न हमरा बिहार में” के सृजन की कहानी भी साझा की। डॉ. सागर ने कहा, “बीएचयू ने मुझे सपने देखने की ताकत दी और जेएनयू ने उन्हें अभिव्यक्त करने का साहस। सफलता में प्रतिभा के साथ धैर्य और निरंतर अभ्यास की सबसे बड़ी भूमिका होती है।”
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉ. अमरनाथ पासवान (एसोसिएट प्रोफेसर, सीएसएसआई, समाज विज्ञान संकाय) ने किया।
प्रो. जे. बी. कोमरैया, संयोजक सीएसएसआई एवं सेमिनार निदेशक ने स्वागत भाषण दिया।
कार्यशाला में सामाजिक विज्ञान संकाय के पूर्व डीन प्रो. आर. पी. पाठक, डॉ. राजेश पासवान, डॉ. ए. के. जोशी सहित कई शिक्षाविद, विशेषज्ञ, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी