
-पतंजलि का शोध विले प्रकाशन के अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल में प्रकाशित
हरिद्वार, 19 जून (Udaipur Kiran) । पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा सी एलिगेंस नामक मॉडल जीव पर किए गए नवीनतम शोध में यह सिद्ध हुआ है कि आयुर्वेदिक औषधि ‘न्यूरोग्रिट गोल्ड’ पार्किंसंस जैसी जटिल बीमारी से उत्पन्न स्मृति लोप को दूर करने में सहायक है, साथ ही यह औषधि जीवन काल को भी बढ़ा सकती है। वहीं इनकी लम्बाई और प्रजनन क्षमता पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं डालती है। यह अनुकरणीय शोध अंतरराष्ट्रीय विल प्रकाशन के रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पार्किंसंस बीमारी में व्यक्ति मानसिक रूप से तो अस्वस्थ्य होता ही है, उसका सामाजिक दायरा भी छोटा होने लगता है। परन्तु, क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे अस्वस्थ व्यक्ति पुनः ठीक हो सके और अपने दैनिक कार्यकलाप भली भांति बिना किसी सहायता के कर सके। अब हम पूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हाँ, अब यह संभव है।
आचार्य ने कहा कि न्यूरोग्रिट गोल्ड हमारी धरोहर आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का अनुपम मेल है। यह शोध प्रदर्शित करता है कि अगर प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया जाए तो इस आधुनिक युग की समस्याओं को दूर करने में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि न्यूरोग्रिट गोल्ड ज्योतिष्मती और गिलोय आदि प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के साथ ही एकांगवीर रस, मोती पिष्टी, रजत भस्म, वसंत कुसुमाकर रस, रसराज रस आदि से निर्मित है जो कि मस्तिष्क विकारों में लाभकारी मानी गई है।
पतंजलि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि यह अभिनव प्रयोग पहली बार किसी आयुर्वेदिक औषधि के साथ किया गया है और इसके परिणाम न केवल विज्ञान जगत के लिए रोमांचक हैं, बल्कि आने वाले समय में मानव स्वास्थ्य पर इसके गहरे प्रभाव पड़ सकते हैं। न्यूरोग्रिट गोल्ड के सेवन से इन जीवों में आक्सीडेटिव तनाव के स्तर को कम किया जा सकता है।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
