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पांवटा साहिब का यमुना घाट बना आस्था का केंद्र, स्थानीय युवक ने बचाईं चार जानें

पांवटा साहिब का यमुना घाट बना आस्था का केंद्र, नमकीन विक्रेता बना ‘जल योद्धा’, सात दिन में चार श्रद्धालुओं की बचाई जान – स्थायी गोताखोर दल की उठी मांग

नाहन, 23 जून (Udaipur Kiran) । जिला सिरमाैर के पांवटा साहिब उपमंडल के ऐतिहासिक यमुना घाट पर इन दिनों आस्था, श्रद्धा और जोखिम साथ-साथ बह रहे हैं। देशभर से हजारों श्रद्धालु उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और उत्तराखंड जैसे राज्यों से यहां पहुंच रहे हैं। वे यमुना नदी में आस्था की डुबकी लगाकर पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना कर रहे हैं।

मान्यता है कि यमुना घाट में स्नान करने से पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि मिलती है। लेकिन हर साल यहां कई श्रद्धालुओं की डूबने से मौत भी हो जाती है। इस बार भी हालात अलग नहीं हैं क्याेंकि पिछले एक सप्ताह में चार श्रद्धालु यमुना में डूबते-डूबते बचे।

चौंकाने वाली बात यह है कि इन लोगों को बचाने वाला कोई सरकारी कर्मचारी नहीं, बल्कि घाट पर नमकीन बेचने वाला एक स्थानीय युवक है, जो खुद प्रशिक्षित नहीं है और न ही प्रशासन की ओर से अधिकृत। लेकिन यह युवक इन दिनों बहादुरी और इंसानियत की मिसाल बना हुआ है। घाट पर मौजूद रहते हुए वह लगातार नदी पर नजर रखता है और जैसे ही कोई संकट में दिखता है, बिना देर किए नदी में कूद जाता है।

स्थानीय लोगों और मंदिर समिति ने प्रशासन से मांग की है कि घाट पर प्रशिक्षित गोताखोरों की स्थायी तैनाती की जाए। उनका कहना है कि हर साल कई लोगों की जानें जाती हैं और जब एक आम नागरिक बिना प्रशिक्षण के लोगों की जान बचा सकता है, तो प्रशासन कब जागेगा?

बारिश के मौसम में यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ता है। ऐसे में गहराई और तेज बहाव जानलेवा साबित हो सकते हैं। इसके बावजूद घाट पर न तो चेतावनी बोर्ड, न लाइफ जैकेट्स और न ही सुरक्षा रस्सियों की कोई व्यवस्था है।

श्रद्धालु भी सावधानियों को नजरअंदाज कर गहरे पानी में चले जाते हैं, जिससे हादसों का खतरा और बढ़ जाता है। स्थानीय लोग अब केवल जागरूकता नहीं, बल्कि ठोस सुरक्षा प्रबंधों की मांग कर रहे हैं।

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(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर

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