
न्यूयॉर्क, 25 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधित करते हुए इजराइल पर गाजा में मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इजराइल ने पूरे फिलिस्तीनी समाज पर घेराबंदी थोप रखी है, जो केवल आक्रामकता ही नहीं बल्कि युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध है।
अब्बास ने तुरंत युद्धविराम, मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति और फिलिस्तीनी भूमि व संपत्ति की जब्ती रोकने की अपील की। उन्होंने कहा कि “न्याय के बिना शांति संभव नहीं है और फिलिस्तीन की स्वतंत्रता के बिना न्याय अधूरा है।”
अब्बास ने कहा कि वेस्ट बैंक में भी इजराइल लगातार अवैध बस्तियों का विस्तार कर रहा है और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मस्जिदें और गिरजाघर तक अंतरराष्ट्रीय कानून की अवहेलना करते हुए नष्ट कर दिए गए।
इस दौरान उन्होंने 07 अक्टूबर 2023 को हमास की हिंसक कार्रवाई की निंदा करते हुए साफ किया कि हमास फिलिस्तीनी जनता का प्रतिनिधित्व नहीं करता और भविष्य की शासन व्यवस्था में उसकी कोई भूमिका नहीं होगी। अब्बास ने कहा कि गाजा पट्टी फिलिस्तीन का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन हम एक सशस्त्र राज्य नहीं चाहते।
अपने संबोधन में अब्बास ने याद दिलाया कि 1993 में ओस्लो समझौते के जरिए फिलिस्तीन ने इजराइल को मान्यता दी थी और शांति व सुरक्षा के साथ सह-अस्तित्व की दिशा में काम किया, लेकिन इजराइल ने समझौतों का पालन नहीं किया।
उन्होंने उन देशों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने फिलिस्तीन को मान्यता दी है या ऐसा करने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन के साथ एकजुटता को यहूदी-विरोध (एंटीसेमिटिज्म) से जोड़ना गलत है।
अपने 20 मिनट के संबोधन का समापन करते हुए उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी जनता संघर्ष के बावजूद दृढ़ रहेगी। उन्होंने कहा, “हमारी जड़ें जैतून के पेड़ों की तरह गहरी हैं और हमारी इच्छाशक्ति चट्टानों की तरह अडिग है। एक दिन स्वतंत्रता का सूर्योदय होगा और फिलिस्तीन का झंडा आसमान में लहराएगा।”
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
