
रांची, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । झारखंड की कक्षाओं में अब बच्चों की मातृभाषा की मधुर ध्वनियां गूंज रही हैं। लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन (एलएलएफ) की ओर से झारखंड सरकार के सहयोग से वर्ष 2024 में शुरू किया गया पलाश बहुभाषी शिक्षा कार्यक्रम राज्य में समावेशी शिक्षा की मिसाल बन गया है। 2025 में रांची से शुरू हुई इस पहल ने आठ जनजातीय-बहुल जिलों में प्रारंभिक शिक्षा को सशक्त किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों की घर की भाषाओं को कक्षा शिक्षण में शामिल कर सीखने के परिणामों और सांस्कृतिक पहचान की भावना को मजबूत करना है।
कार्यक्रम दो स्तरों पर चलता है इसमें चार जिलों में एलएलएफ का प्रत्यक्ष सहयोग और चार जिलों में शिक्षकों, क्लस्टर और ब्लॉक रिसोर्स पर्सन की क्षमता निर्माण पर फोकस किया जाता है। पिछले एक वर्ष में एक हजार से अधिक शिक्षकों और 400 रिसोर्स पर्सन को प्रशिक्षित किया गया है। संथाली, हो, मुंडारी, कुडुख और खड़िया भाषाओं में द्विभाषी पाठ्य–पुस्तकें और सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक सामग्री तैयार की गई।
एलएलएफ की राज्य प्रबंधक पल्लवी शाह के अनुसार, स्थानीय भाषाओं में शिक्षा से बच्चों और शिक्षकों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं। अब समुदाय स्वयं स्कूल गतिविधियों में भागीदारी कर रहे हैं। नतीजतन पहले ही वर्ष में कक्षा एक से दो के 22,600 से अधिक बच्चों तक पहुंच बनाई है। जिनमें 84 प्रतिशत ने आवधिक आकलन में भाग लिया है। इनमें से 76 प्रतिशत ने मौखिक दक्षता में प्रदर्शित किया। 46 प्रतिशत बच्चों ने पढ़ने-लिखने के कुशल अभ्यास में और 50 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। बच्चों के शिक्षण में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar