
जम्मू, 19 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) जम्मू के मंडपम सभागार में एक भव्य समारोह में प्रख्यात रंगकर्मी एवं पूर्व सांस्कृतिक राजनयिक पद्मश्री बलवंत ठाकुर को आईआईएम जम्मू के निदेशक प्रो. बी.एस. सहाय द्वारा सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें 128 छात्रों को प्रशिक्षित करने और रंग तरंग नामक जीवंत परफॉर्मिंग आर्ट्स फेस्टिवल आयोजित करने के लिए प्रदान किया गया, जिसमें 16 नाटकों और 3 नृत्य प्रस्तुतियों को मंचित किया गया।
अपने संबोधन में प्रो. बी.एस. सहाय ने कहा, यह बलवंत ठाकुर के साथ दूसरा सत्र था, जिसमें आईआईएम के छात्र प्रशिक्षण पा रहे थे। उनकी कार्यशैली अनोखी है, वे हर सत्र को संस्थान की व्यावसायिक जरूरतों के अनुरूप ढालते हैं और रंगमंच को एक सशक्त सॉफ्ट स्किल्स टूल के रूप में पेश करते हैं। उन्होंने आगे कहा, उनका कार्य केवल रंगमंच नहीं है, यह संस्कृतिक अभियांत्रिकी है। वे मंच पर तालियों की तलाश में नहीं हैं, वे भविष्य के नेताओं के मस्तिष्क में अनुगूंज पैदा कर रहे हैं।”
प्रो. सहाय ने आईआईएम छात्रों की मंच पर पेश की गई दक्षता की भी प्रशंसा की और कहा, जो ऊर्जा, आत्मविश्वास और कलात्मकता मैंने छात्रों में देखी, वह अनुभवी कलाकारों से भी कहीं अधिक थी। यह उनके गुरु बलवंत ठाकुर की दूरदर्शिता और समर्पण का प्रमाण है। सम्मान ग्रहण करते हुए बलवंत ठाकुर ने आईआईएम जम्मू के निदेशक और पूरी टीम के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, यह मेरे लिए एक अत्यंत प्रेरणादायक अनुभव रहा है। छात्रों के साथ संवाद और प्रशिक्षण के दौरान मुझे स्वयं भी बहुत कुछ सीखने और खोजने को मिला। उन्होंने छात्रों की ऊर्जा, सीखने की ललक और नवाचार के प्रति खुलापन को प्रेरणास्रोत बताया।
अपने 45 वर्षों के रंगमंचीय अनुभव को साझा करते हुए ठाकुर ने कहा, थिएटर केवल प्रदर्शन नहीं है, यह चिंतन, नेतृत्व और समाज सुधार का माध्यम है। यह ऐसी कला है जो व्यक्ति को भीतर से गढ़ती है, विचार जगाती है, संवेदना पैदा करती है और परिवर्तन को प्रेरित करती है। उन्होंने 100 से अधिक देशों में अपने अनुभवों का उल्लेख करते हुए बताया कि इन वैश्विक संवादों ने उनके सोचने के दृष्टिकोण को व्यापक बनाया है और उन्हें मानव अनुभवों की विविधता को समझने में मदद की है, जो उनके आज के कार्यों में झलकती है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
