
जम्मू, 27 जून (Udaipur Kiran) । भारत के जाने-माने रंगकर्मी, सांस्कृतिक विचारक और पूर्व सांस्कृतिक राजनयिक पद्मश्री बलवंत ठाकुर ने शिमला स्थित ऐतिहासिक राजभवन में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से शिष्टाचार भेंट की। यह मुलाकात ठाकुर की हिमाचल में चल रही सांस्कृतिक पहल का हिस्सा रही, जिसका उद्देश्य प्रदेश में रंगमंच, कला और रचनात्मक सहयोग के लिए नए अवसरों का निर्माण करना है। इस अवसर पर बलवंत ठाकुर ने राज्यपाल के साथ एक विस्तृत सांस्कृतिक विकास रोडमैप साझा किया, जो उनकी भारत और अंतरराष्ट्रीय कला जगत में दशकों की अनुभवसंपन्न यात्रा पर आधारित था। उन्होंने कहा कि हिमाचल की सांस्कृतिक विरासत समृद्ध होते हुए भी राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर अपेक्षित पहचान नहीं पा सकी है।
ठाकुर ने प्रस्ताव रखा कि शिमला के 138 वर्ष पुराने गेयटी थिएटर को अंतरराष्ट्रीय स्तर का परफॉर्मिंग आर्ट्स हब बनाया जा सकता है। उन्होंने पेशेवर रंगमंच मॉडल, विपणन रणनीतियों और प्रदर्शन निवासियों के माध्यम से इसे सांस्कृतिक पर्यटन का केंद्र बनाने की आवश्यकता जताई। मुलाकात में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के साझा सांस्कृतिक विरासत पर भी चर्चा हुई। ठाकुर ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र की लोक परंपराएं, लघु चित्रकला, और आध्यात्मिक विरासत दोनों प्रदेशों को जोड़ती हैं। उन्होंने दोनों क्षेत्रों को जोड़ने के लिए क्यूरेटेड फेस्टिवल्स, आर्टिस्ट रेजीडेंसी और थीम आधारित प्रदर्शनियों के आयोजन की सिफारिश की।
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी जोर दिया जिससे भारतीय भाषाओं, मूल्यों और विरासत को शिक्षा के मुख्यधारा में शामिल किया जा सके। ठाकुर ने सुझाव दिया कि जिला स्तरीय सांस्कृतिक विकास परिषदों, मोबाइल थिएटर यूनिट्स और युवा केंद्रित कला उत्सवों के माध्यम से जमीनी स्तर पर रचनात्मक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाए। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बलवंत ठाकुर की सांस्कृतिक दृष्टि की सराहना करते हुए कहा कि हिमाचल की सांस्कृतिक समृद्धि को राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए सरकार हरसंभव सहयोग करेगी।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
