


-अंबिकापुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का उद्घाटन
अंबिकापुर, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । भारतीय ज्ञान परंपरा की समृद्ध विरासत को संजोना और उसे वर्तमान पीढ़ी तक पहुंचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचारक प्रेम कुमार सिदार ने श्री साई बाबा आदर्श स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अंबिकापुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के उद्घाटन सत्र में कही। सेमिनार का विषय था ‘विकसित भारत के परिप्रेक्ष्य में कला, विज्ञान और प्रबंधन में भारतीय ज्ञान परंपरा’।
संपूर्ण कार्यक्रम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में संचालित हुआ। सत्र को संबोधित करते हुए सिदार ने कहा कि अंग्रेजों की नीति के कारण भारतीयों में अपने ज्ञान के प्रति हीनभाव उत्पन्न किया गया था। उन्होंने बताया कि वेद, उपनिषद, पुराण, महाभारत और रामायण हमारे ज्ञान के स्त्रोत हैं। विज्ञान, अनुसंधान, चिकित्सा, खगोल और जीवन दर्शन जैसे क्षेत्रों में भारत की खोजें और भारतीय ज्ञान कौशल ने विश्व को समृद्ध किया है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे भारतीय ग्रंथों का अध्ययन करें, जो हर किसी के लिए पाथेय सिद्ध होंगे।
उद्घाटन समारोह का शुभारंभ महाविद्यालय शासी निकाय के अध्यक्ष विजय कुमार इंगोले और अन्य अतिथियों ने मां सरस्वती और श्री साई नाथ की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ और बैज लगाकर किया गया।
सेमिनार के संयोजक डॉ. रवीन्द्र नाथ शर्मा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा हमारी पाथेय है और प्राचीन काल में यह दुनिया का नेतृत्व करती थी। गुलामी के दौर में इसे उपेक्षित किया गया, क्योंकि शासकों को पता था कि जब तक भारतीयों को अपने ज्ञान पर गर्व नहीं होगा, तब तक शासन बनाए रखना आसान रहेगा। डॉ. शर्मा ने कहा कि इस सेमिनार में 250 से अधिक शोधपत्रों का वाचन होगा, जिसमें देशभर के विशेषज्ञ ऑनलाइन जुड़ेंगे।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि यह सेमिनार प्राध्यापकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परंपरा के तथ्यों से जुड़ने का महत्वपूर्ण अवसर देगा। विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आर.एन. खरे ने भी कहा कि विश्व में हो रहे सभी अनुसंधान और आविष्कार मूलतः भारतीय ज्ञान की जड़ों से उत्पन्न हुए हैं और उन्हें फलक पर लाना हमारा कर्तव्य है।
इस अवसर पर महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका ‘सृजन’ का विमोचन किया गया। उद्घाटन सत्र का संचालन सहायक प्राध्यापक देवेंद्र दास सोनवानी और पल्लवी मुखर्जी ने किया, जबकि डॉ. अलका पांडेय ने आभार प्रकट किया।
ऑफलाइन मोड में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. राधेश्याम दुबे ने भी भारतीय ज्ञान परंपरा में नाथ साहित्य, दास कवियों और अष्टछाप कवियों के योगदान को उजागर किया और कहा कि इस परंपरा को संयोजित रखना हमारी जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम में सरगुजा के विभाग प्रचारक हेमंत नाथ, अभय पालोलकर, राजीव गांधी शासकीय महाविद्यालय के विभिन्न विभागाध्यक्ष और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / पारस नाथ सिंह
