
–ड्राइवर को हल्की ड्यूटी देने व बकाया वेतन सात फीसदी ब्याज के साथ चार माह में भुगतान का निर्देश –आदेश न मानने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय कर की जाय वसूली
प्रयागराज, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में कार्यरत ड्राइवर की विकलांगता को देखते हुए हल्की ड्यूटी देने तथा नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है। साथ ही मार्च 22 से बकाये वेतन का भुगतान सात फीसदी ब्याज सहित चार महीने में करने का भी आदेश दिया है।
कोर्ट ने निगम के प्रबंध निदेशक लखनऊ को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि अधिकारियों को प्रशिक्षित करें ताकि वे दिव्यांगों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील हों। साथ ही विकलांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 को परिवहन निगम में भी छह माह में ईमानदारी से लागू किया जाय और इसकी नियमित आडिट की जाय। कोर्ट ने साफ कहा कि यदि अधिकारी ब्याज सहित बकाया वेतन भुगतान करने में विफल होते हैं तो अधिकारियों की जवाबदेही तय कर उनके वेतन से वसूली की जाय।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकल पीठ ने हमीरपुर के निवासी बस चालक मोहम्मद नईम की याचिका पर दिया। सेवाकाल में उसे दिव्यांगता हुई। 28 मार्च, 2022 को उसने अधिकारियों को अपनी दिव्यांगता और कठोर काम करने में असमर्थता के संबंध में अर्जी दी। मेडिकल बोर्ड ने भी दिव्यांगता की पुष्टि की और हल्की ड्यूटी की सलाह दी। इसके बाद भी निगम के अधिकारियों ने उसे हल्की ड्यूटी नहीं दी। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
कोर्ट ने 14 अगस्त, 2024 को अधिकारियों को उसके आवेदन पर विचार करने और छह सप्ताह के भीतर एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करने का निर्देश दिया। 4 अक्टूबर 2024 को नईम का आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि चालकों के लिए कोई हल्की ड्यूटी का उपबंध नहीं है।
20 फरवरी, 2025 को कोर्ट ने एक स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश दिया, जिसमें किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के तीन विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल थे। इस बोर्ड ने 12 मार्च, 2025 को अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की कि याचिकाकर्ता विकलांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत 40 प्रतिशत लोकोमोटर दिव्यांगता से पीड़ित है। इस पर कोर्ट ने कहा कि विकलांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत यदि कोई कर्मचारी दिव्यांगता प्राप्त करने के बाद अपनी पिछली पोस्ट के लिए उपयुक्त नहीं है, तो उसे समान वेतनमान और सेवा लाभों के साथ किसी अन्य पोस्ट पर स्थानांतरित किया जाएगा। अधिनियम का पालन न करना उसके उद्देश्य के विपरीत है।
कोर्ट ने प्रतिवादी अधिकारियों के आदेश को रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि याची को हल्की ड्यूटी करने की अनुमति दिया जाए। साथ ही प्रतिवादी चार महीने के भीतर याची के बकाए वेतन का भुगतान करेंगे। यूपीएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी अधिकारी दिव्यांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम के तहत दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील हों और अधिनियम के विधायी इरादे को निगम में ईमानदारी से लागू करके सफल बनाया जाए। इस उद्देश्य के लिए, सक्षम प्राधिकारी द्वारा उचित आदेश जारी किए जाएंगे और प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
