
प्रयागराज, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि आय प्रमाण पत्र निरस्त करने से पहले सुनवाई का मौका देना जरूरी है। ऐसा न करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। कोर्ट ने तहसीलदार के आय प्रमाणपत्र निरस्त करने के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया और नये सिरे से सत्यापन करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि तहसीलदार याची को नोटिस जारी करेंगे। याची को इसमें मदद करनी होगी। यदि प्रमाण पत्र निरस्त करने का कोई कारण मिलता है तो याची का पक्ष अवश्य सुना जाना चाहिए।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा तथा न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने अंजली दुबे की याचिका पर दिया। याची गाजीपुर, तहसील जखनिया की निवासी हैं। इस समय वह आंगनबाड़ी में कार्यकर्त्री हैं। तहसीलदार ने 27 मार्च 2025 के आदेश से याची के आय प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया। कहा गया कि आय प्रमाण पत्र सम्बंधित हल्के के लेखपाल के बजाय दूसरे हल्के के लेखपाल की रिपोर्ट पर जारी किया गया था। इस आदेश को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
याची अधिवक्ता प्रिंस कुमार श्रीवास्तव ने दलील दी कि आय प्रमाण पत्र के ऑनलाइन आवेदन के उपरांत आवेदक की भूमिका खत्म हो जाती है और केवल विभाग की भूमिका ही रहती है। ऐसे में किसी भी गलती के लिए विभाग जिम्मेदार है, याची नहीं। इसके चलते बिना पक्ष सुने आय प्रमाण पत्र निरस्त करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। तहसीलदार के आदेश से याची की नौकरी खतरे में हैं। सरकारी वकील ने विरोध किया कहा प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से लिया गया है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
