
शिमला, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश एक बार फिर से भारी बारिश के दौर से गुजरने वाला है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने आगामी चार दिनों तक प्रदेश में भारी से बहुत भारी वर्षा की चेतावनी जारी करते हुए कई जिलों में ऑरेंज अलर्ट घोषित किया है। मौसम विभाग का कहना है कि 23 अगस्त से 26 अगस्त तक राज्य के विभिन्न हिस्सों में मूसलाधार बारिश हो सकती है, जिसके चलते भूस्खलन, पेयजल और बिजली आपूर्ति बाधित होने के साथ ही आवागमन भी बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। फिलहाल प्रदेश में एक नेशनल हाईवे समेत कुल 338 सड़कें भूस्खलन और मलबा आने के कारण बंद पड़ी हैं। इसके अलावा 132 बिजली ट्रांसफार्मर और 141 पेयजल योजनाएं भी ठप पड़ी हुई हैं। केवल कुल्लू जिले में 77 और मंडी जिले में 45 ट्रांसफार्मर खराब हुए हैं, जबकि मंडी में 54 और कुल्लू में 74 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। कुल्लू जिले का नेशनल हाईवे 305 भी कई स्थानों पर अवरुद्ध है, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम विभाग ने बताया है कि आज 22 अगस्त को प्रदेश के कई हिस्सों में गरज-चमक के साथ वर्षा का येलो अलर्ट जारी है, जबकि 23 अगस्त को सिरमौर, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर और चंबा जिलों में गरज और आसमानी बिजली गिरने की आशंका जताई गई है। इसी दिन कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला और सिरमौर जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना के चलते ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। 24 अगस्त को ऊना, चंबा, कुल्लू, मंडी और शिमला में भारी वर्षा की चेतावनी जारी है, जबकि कांगड़ा और सिरमौर में ऑरेंज अलर्ट रहेगा। इसके बाद 25 अगस्त को उना, कुल्लू, सोलन और किन्नौर में भारी वर्षा का येलो अलर्ट और कांगड़ा, मंडी, शिमला व सिरमौर में ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है। मौसम विभाग ने 27 और 28 अगस्त को भी प्रदेश में भारी वर्षा का येलो अलर्ट जारी करते हुए लोगों को सतर्क रहने और विशेषकर नदी-नालों तथा भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी है।
प्रदेश में इस बार का मानसून गहरे जख्म छोड़ रहा है। 20 जून से शुरू हुए मानसून सीजन में अब तक 287 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें मंडी के 48, कांगड़ा के 47, चंबा के 35, शिमला के 27, किन्नौर और कुल्लू के 26-26, सिरमौर के 19, बिलासपुर के 15, सोलन के 13, हमीरपुर के 12, लाहौल-स्पीति के 10, ऊना के 9 और किन्नौर व अन्य जिलों में कुछ मौतें शामिल हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान 38 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं और 346 लोग घायल हो चुके हैं। बारिश और भूस्खलन की विभीषिका में अब तक 2,882 मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें से 650 पूरी तरह ढह गए हैं। इसके अलावा 385 दुकानें और 2,597 पशुशालाएं भी नष्ट हो चुकी हैं। राज्य भर में 1,806 पालतू पशु और 25,755 पोल्ट्री पक्षियों की मौत हो चुकी है।
आपातकालीन परिचालन केंद्र ने अपनी दैनिक रिपोर्ट में बताया है कि इस मानसून सीजन में अब तक प्रदेश को कुल 2,282 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इनमें अकेले लोक निर्माण विभाग को 1,264 करोड़ और जलशक्ति विभाग को 753 करोड़ रुपये की चपत लगी है। इसी दौरान बिजली विभाग को भी करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है। अब तक प्रदेश में भूस्खलन की 74, फ्लैश फ्लड की 74 और बादल फटने की 39 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं।
बीते 24 घंटों की बात करें तो कई जिलों में लोगों को भारी वर्षा से राहत मिली और केवल कुछ स्थानों पर हल्की बारिश दर्ज की गई। इनमें मनाली में 18 मिमी, आरएल बीबीएमबी में 15 मिमी और कुफरी में 14 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। हालांकि राहत की यह बौछार लंबे समय तक टिकने वाली नहीं है, क्योंकि आने वाले दिनों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना एक बार फिर जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर सकती है। प्रदेश सरकार ने लोगों से सतर्क रहने और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
