
शिमला, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मॉनसून का कहर लगातार जारी है और आगामी दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 23 से 25 अगस्त तक प्रदेश के कई हिस्सों में भारी से बहुत भारी वर्षा की चेतावनी देते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार इस दौरान गरज-चमक, अंधड़ और भूस्खलन की घटनाओं की आशंका अधिक रहेगी। 21 अगस्त को मौसम खराब रहने का अनुमान जताया गया है, जबकि 22 अगस्त को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा और सिरमौर जिलों में येलो अलर्ट रहेगा। 23 अगस्त को चंबा, कुल्लू, शिमला व सोलन में येलो अलर्ट और कांगड़ा, मंडी तथा सिरमौर में भारी से बहुत भारी वर्षा का ऑरेंज अलर्ट रहेगा। इसी तरह 24 अगस्त को चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला और सोलन में येलो अलर्ट और सिरमौर में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
बीते 24 घंटों में कई क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश हुई। ऊना के भरवाईं में 70 मिमी, देहरा गोपीपुर, पालमपुर, सोलन और गुलेर में 60-60 मिमी, बिलासपुर में 50, शिमला के जुब्बड़हट्टी में 50, नैना देवी में 50 और नादौन में 40 मिमी वर्षा दर्ज की गई। लगातार हो रही बारिश से राज्य में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। भूस्खलन की घटनाओं से सड़कें बंद हो रही हैं और यातायात प्रभावित है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार बुधवार शाम तक प्रदेश में दो नेशनल हाइवे और 366 सड़कें अवरुद्ध हो गईं। अकेले मंडी जिले में 174, कुल्लू में 125, कांगड़ा में 21 और शिमला में 22 सड़कें बंद हैं। एनएच-305 कुल्लू में तथा एनएच-154 मंडी में पूरी तरह बाधित हैं। लगातार हो रही बारिश से मंडी जिले में चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाइवे भी हणोगी के पास भूस्खलन के कारण बंद पड़ा है। प्रशासन द्वारा सुबह से मलबा हटाने का काम शुरू किया गया है, लेकिन वैकल्पिक मार्ग भी कन्नौज के पास धंसने से स्थिति जटिल बनी हुई है। कुल्लू की ओर जाने वाला रास्ता खोलने में अभी समय लग सकता है।
भारी बारिश ने बिजली और पानी की आपूर्ति पर भी गहरा असर डाला है। प्रदेशभर में 929 ट्रांसफार्मर बंद हो गए हैं, जिनमें से सर्वाधिक 529 उना जिले में, 281 कुल्लू में और 98 मंडी में ठप हैं। इसके अलावा 139 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं, जिनमें मंडी की 60 और कुल्लू की 56 योजनाएं शामिल हैं।
अब तक के मानसून सीजन ने प्रदेश को गहरा जख्म दिया है। इस बरसात में अब तक 280 लोगों की मौत हो चुकी है, 37 लापता हैं और 342 लोग घायल हुए हैं। मृतकों में मंडी में 48, कांगड़ा में 47, चंबा में 35, शिमला में 26, किन्नौर में 25 और कुल्लू में 24 लोग शामिल हैं। इस अवधि में 2,791 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें 635 पूरी तरह ढह गए। 385 दुकानें और 2,527 पशुशालाएं नष्ट हो चुकी हैं। बारिश और भूस्खलन से 1,803 पशुओं और 25,755 पोल्ट्री पक्षियों की मौत भी दर्ज की गई है। सरकारी आकलन के अनुसार अब तक प्रदेश को 2,281 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसमें लोक निर्माण विभाग को 1,264 करोड़ और जलशक्ति विभाग को 753 करोड़ रुपये की क्षति हुई है।
इस बीच कुल्लू जिले के पीज गांव में आज तड़के बादल फटने की घटना हुई। शास्त्री नगर नाले में अचानक जलस्तर बढ़ने से फ्लैश फ्लड आ गया और नाले में खड़ी कई गाड़ियां बह गईं, जबकि कुछ घरों में मलबा घुस गया। राहत की बात रही कि इस घटना में किसी तरह का जानी नुकसान नहीं हुआ। उधर, ऊना जिले के अंब और गगरेट उपमंडलों में तथा कुल्लू के मनाली उपमंडल में भारी बारिश और खराब मौसम के चलते बुधवार को सभी शिक्षण संस्थान बंद रखने के आदेश जारी किए गए।
कांगड़ा जिले में लगातार वर्षा और पौंग डैम से छोड़े गए पानी ने स्थिति और अधिक चिंताजनक बना दी है। बीबीएमबी के अनुसार 20 अगस्त की सुबह पौंग डैम का जलस्तर 1383.13 फुट दर्ज किया गया, जिसके बाद पानी छोड़ा गया। इससे ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ गया है और फतेहपुर व इंदौरा उपमंडल के निचले मंड क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
