Maharashtra

मनपा अस्पतालों में पीपीपी के प्रस्ताव का विरोध

मुंबई, 01 सितंबर (Udaipur Kiran) । मुंबई महानगरपालिका के अस्पतालों

में इलाज के लिए मुंबई से बाहर से आने वाले मरीजों के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी

(पीपीपी) के तहत नई दर प्रणाली लागू करने की तैयारी चल रही है। इससे मुंबई के बाहर

और अन्य राज्यों से आकर इलाज कराने वाले मरीजों से अधिक शुल्क वसूला जाएगा। इस

प्रस्तावित योजना के खिलाफ कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों आवाज मुखर की है।

मनपा प्रशासन ने इससे पहले भी बोरीवली के भगवती अस्पताल को पीपीपी

के तहत चलाने का फैसला किया था। लेकिन भारी विरोध के कारण इस प्रस्ताव को रद्द कर

दिया गया था। स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत के कारण मुंबई के बाहर व अन्य

राज्यों से आने वाले मरीजों को ध्यान में रखते हुए अब फिरपीपीपी प्रस्ताव लाने

की तैयारी है। गोवंडी के शताब्दी अस्पताल और मानखुर्द के लल्लूभाई कंपाउंड अस्पताल

में पीपीपी योजना लागू करने का फैसला किया गया है। इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया

है। मुंबई के बाहर के मरीजों से अलग-अलग उपचार दरें ली जाएंगी। मनपा प्रशासन

महात्मा फुले जन आरोग्य योजना और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के माध्यम से भी

इलाज उपलब्ध कराने का इरादा रखता है। महात्मा फुले और प्रधानमंत्री जन आरोग्य

योजना के तहत 1396 प्रकार की

बीमारियों का इलाज किया जाता है। इस योजना के तहत पांच लाख तक का इलाज मुफ्त किया

जाता है. यैसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब दोनों योजनाएं मौजूद हैं तो पीपीपी की

आवश्यकता क्यों है।

शिवसेना (यूबीटी) विधायक अनिल परब और मनसे नेता संदीप

देशपांडे का कहना है कि पीपीपी सिद्धांत को लागू करके मनपा अस्पतालों के निजीकरण

को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महात्मा फुले और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को ठीक

से लागू किया जाए, तो मनपा को एक

हजार करोड़ रुपये मिल सकते हैं। केंद्र सरकार को मनपा अस्पतालों के लिए कुछ ठोस राशि

उपलब्ध करानी चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / वी कुमार

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