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अफीम पॉलिसी जारी, 80 किलो से कम डोडा देने वाले किसानों के लाइसेंस होंगे निलंबित

चित्तौड़गढ़ जिले में अफीम को फसल को देखते किसान। (फाइल फोटो)

चित्तौड़गढ़, 12 सितंबर (Udaipur Kiran) । वर्ष 2025-26 में अफीम की बुवाई को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय की और से पॉलिसी जारी कर दी है। मंत्रालय ने गुरुवार देर रात को पॉलिसी जारी कर दी है। इसमें किए गए प्रावधान के अनुसार नए अफीम लाइसेंस जुड़ेंगे तो कई कटेंगे भी। पॉलिसी के अनुसार अब सीपीएस पद्धति (बिना चीरे) की खेती में प्रति दस आरी 80 किलो से कम डोडा देने वाले किसानों के अफीम लाइसेंस एक वर्ष के लिए निलंबित कर दिए जाएंगे।

जानकारी के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्रालय से जनप्रतिनिधियों के साथ ही अफीम किसान भी किसान हितैषी अफीम पॉलिसी बनाने की मांग कर चुके हैं। गत दिनों हुई बैठक में भी जनप्रतिनिधियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री और अधिकारियों सुझाव पत्र सौंपे थे। वहीं गुरुवार रात को केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2025-26 के लिए नई अफीम नीति घोषित कर दी है। इसमें इस वर्ष भी कई किसानों के अफीम लाइसेंस पर कैंची चलेगी, तो पिछली बार के निलम्बित पट्टे बहाल भी होंगे। वहीं पूर्व घोषित नीति के अनुसार सीपीएस में वांछित डोडा देने वालों को इस वर्ष चिराई के पट्टे मिलेंगे। नई अफीम नीति के अनुसार इस वर्ष किसानों को दो लाभ मिले हैं। एक जिन्होंने गत वर्ष सीपीएस पद्धति में दस आरी पर 90 किलो बिना चिराई का डोडा जमा करवाया उन्हें इस वर्ष चिराई का पट्टा मिलेगा। लेकिन वो भी अन्य शर्तों को भी तय किया गया है। इसके अलावा जो सीपीएस पट्टे गत वर्ष 67 किलो से कम बिना चिराई के डोडे जमा करवाने पर कटे थे, वे इस वर्ष के लिए बहाल किए जाएंगे। लेकिन अब सीपीएस में प्रति दस आरी पर 80 किलो से कम डोडा देने वाले किसानों के पट्टे एक वर्ष के लिए निलम्बित कर दिए जाएंगे। इन दो प्रावधानों के अलावा इस वर्ष की अफीम नीति में पिछली नीति के ही प्रावधान रखें गये है, जिससे किसान नाखुश हैं। इधर, अफीम किसानों की मार्फीन औसत कम करने की मांग को मंत्रालय ने नकार दिया गया है, जो कि मुख्य मांग थी।

प्रोसेसिंग के कारखाने नहीं, घटेंगे सीपीएस पद्धति के पट्टे

सूत्रों की माने तो देश में अफीम के डोडे से मार्फिन, कोडीन आदि की प्रोसेसिंग को लेकर कारखाने नहीं हैं। सीपीएस पद्धति की खेती में किसानों से सीधे डोडे लिए जाते हैं। ऐसे में नारकोटिक्स विभाग के गोदाम डोडे से भरे पड़े हैं। ऐसे में सीपीएस पद्धति के पट्टे घटाने की बात कही जा रही है। अगले वर्षों में प्रोसेसिंग के कारखाने लगते हैं तो सीपीएस पद्धति के पट्टों में बढ़ोतरी हो सकती है।

तीन वर्ष को औसत देख कर दिए जाएं लाइसेंस

अफीम पॉलिसी के अनुसार कम औसत के कारण कई किसानों के अफीम लाइसेंस कटेंगे। इसे किसानों की मांग है कि पिछले तीन वर्ष की औसत को देख कर परम्परागत अफीम खेती का लाइसेंस ही मिलना चाहिए। इस नियम में वित्त मंत्रालय को शिथिलता देनी चाहिए। इससे की जिनकी एक साल की कम औसत के कारण लाइसेंस कट गया उनके लाइसेंस बहाल हो सके।

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(Udaipur Kiran) / अखिल

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