
हरदा, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के हरदा जिला मुख्यालय में आटो चालक मासूम बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। फायदा कमाने के लिए जान की परवाह किये बिना जहां एक और क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाते हैं। वहीं दूसरी ओर उनकी चाल इतनी अधिक रहती है कि दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। खराब गड्ढों युक्त सड़क पर तेज रफ़्तार आटो चलाना जोखिम पूर्ण है। फिर भी पालक, स्कूल के संचालक, शासन, प्रशासन के अधिकारी कोई भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जबकि पूर्व में आटो पलटने और आटो पलटते-पलटते बच जाने की घटना होती रहती है। फिर भी उससे सबक लेकर आटो में बच्चों की भरने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने में कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है।
अधिकतम 8 बच्चों को बैठाने का प्रावधान –
आटो में शासन द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार अधिकतम 8 बच्चों को बैठाने का प्रावधान है। फिर भी 15 से 20 बच्चे भूसे की तरह ठूंस-ठूंस कर भरे जाते हैं। इतने पर भी रफ्तार इतनी तेज रहती है कि देखने वाला भयभीत हो जाता है। विरोध शिकायत के बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पालक, स्कूल संचालक और शासन-प्रशासन के जिम्मेदार जवाबदेह अपनी जिम्मेदारी से मुकर रहे हैं।
गाइडलाइन का नहीं कर रहे पालन –
आटो की संख्या करीब 1000 के आसपास हैं। लायसेंस, परमिट, बीमा, फिटनेस, नेम प्लेट, वर्दी, पता, मोबाइल नंबर आदि की जानकारी नहीं रहती है फिर भी पालक आटो वालों के साथ बच्चों को भेजते हैं। जो गाइडलाइन है उसकी चेकिंग की जाये तो एक भी आटो नियमानुसार सड़क पर दौड़ते हुए पाये जायें। इससे शासन को तो टैक्स के रूप में चूना लग रहा है। साथ में मासूम बच्चों की जान जोखिम में है।
प्रति बच्चे 700 से 800 रुपये किराया –
बच्चों का किराया 700 से 800 रुपये तक लिया जाता है। अधिक फायदा कमाने के चक्कर में बच्चों की जान और नियम की तनिक भी परवाह नहीं की जाती है। स्कूल के संचालक को गार्ड के माध्यम से इसमें चेक कराना चाहिए और आटो चालक का नाम, पता, मोबाइल नंबर, आटो नंबर आदि जानकारी होनी चाहिए। फिर भी स्कूल संचालक इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।
हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन –
ई-रिक्शा से स्कूली बच्चों को ढोने पर हाई कोर्ट ने प्रतिबंध लगाया है। भोपाल व अन्य बड़े शहरों में इस पर सख्त पाबंदी है, किंतु बड़े स्कूलों में बच्चों को ई-रिक्शा से ढोया जा रहा है। परिवहन विभाग के अधिकारी हाई कोर्ट और शासन की गाइडलाइन का पालन करवाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। स्कूल जब खुले उसी समय सब कुछ तय हो जाना चाहिए, किंतु पालक, स्कूल संचालक और शिक्षा विभाग के अधिकारी बैठक करके इस और ध्यान नहीं देते हैं। जिसका फायदा उठाते हुए यूनिफॉर्म, नेम प्लेट जैसे अन्य प्रावधानों की अनदेखी करते हुए बे लगाम गति एक नहीं बल्कि दो-तीन स्कूल के बच्चों को ढो रहे हैं। विलंब होने के कारण रफ्तार बढ़ाकर समय कव्हर करने की कोशिश करते हैं। जिसका आने वाले समय में गंभीर दुष्परिणाम सामने आ सकता है।
हरदा आटो यूनियन संघ के सचिव राधेश्याम मालवीय का कहना है कि क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाना और तेज रफ्तार में आटो चलाना गलत है। बच्चों की जान से खिलवाड़ कर फायदा कमाने की नीयत से आटो चलाना नैतिक और कानूनी दोनों रूप से गलत है। इस पर नियमानुसार कार्यवाही की जानी चाहिए।
यातायात विभाग के ट्रैफिक इंचार्ज उमेश ठाकुर का कहना है कि शासन की गाइडलाइन और हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर आटो चलाने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी और नियमानुसार 8 बच्चों को बैठाकर आटो चलाने पर विशेष जोर दिया जाएगा ।
(Udaipur Kiran) / Pramod Somani