
जोधपुर, 18 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने फेसलेस असेसमेंट व्यवस्था में धारा 148 के तहत नोटिस जारी करने के मामले में फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस केआर श्रीराम और जस्टिस रवि चिरानिया की पीठ ने बीकानेर निवासी अविनाश मोदी के पक्ष में फैसला देते हुए 12 जुलाई 2022 को जारी आयकर नोटिस को अवैध और कानून विरुद्ध घोषित किया।
याचिकाकर्ता के वकील सक्षम पांडे ने कोर्ट में तर्क दिया कि आयकर अधिनियम की धारा 148ए(डी) और धारा 148 के तहत जारी नोटिस जेएओ (ज्यूरिसडिक्शनल असेसिंग ऑफिसर) की ओर से जारी किया गया था। जबकि नोटिस एफएओ (फेसलेस असेसिंग ऑफिसर) को जारी करना था। नई व्यवस्था के अनुसार जेएओ की ओर से नोटिस जारी करना अवैध है। डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट के हेक्सावेयर टेक्नोलॉजी लिमिटेड बनाम असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स के जजमेंट का हवाला दिया। राजस्थान हाईकोर्ट ने इससे पहले श्री सीमेंट लिमिटेड और शारदा देवी छाजेड़ के मामलों में भी इसी तर्ज पर फैसला दिया था।
राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने फैसले में गुजरात हाईकोर्ट के तलाती एंड तलाती एलएलपी बनाम ऑफिस ऑफ असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स के फैसले से स्पष्ट असहमति जताई। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि गुजरात हाईकोर्ट के मामले के तथ्य पूरी तरीके से अलग थे। गुजरात मामला सर्च एंड सीजर केस से संबंधित है, जबकि अविनाश मोदी का मामला सामान्य री-असेसमेंट का था। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि गुजरात हाईकोर्ट को बॉम्बे हाईकोर्ट के अनिल कुमार शाह बनाम इनकम टैक्स ऑफिसर के मामले की जानकारी नहीं थी।
इस मामले में सीबीडीटी के 31 मार्च 2021 और 6 सितंबर 2021 के आदेशों पर विचार किया गया था, जिनमें इंटरनेशनल टैक्सेशन चार्जेज और सेंट्रल चार्जेज के लिए अपवाद बनाए गए थे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि ये आदेश केवल असेसमेंट प्रक्रिया के लिए अपवाद करते हैं, न कि री-असेसमेंट नोटिस के लिए। कोर्ट ने आयकर विभाग के वकील के.के. बिस्सा के अनुरोध पर एक शर्त भी रखी है कि यदि भविष्य में सुप्रीम कोर्ट हेक्सावेयर टैक्नोलॉजीज, शारदा देवी छाजेड़ या श्री सीमेंट के मामलों में कोई अलग फैसला देता है, तो आयकर विभाग को भी धारा 148 के तहत नोटिस को पुनर्जीवित करने की छूट होगी।
(Udaipur Kiran) / सतीश
