
भागलपुर, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अंगिका विभाग में बुधवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की शुरुआत दीप प्रज्वलन, कुलगीत और स्वागत गीत के साथ हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय अंगिका विभाग की सहायक प्राध्यापिका और सेमिनार की संयोजक डॉ. शोभा कुमारी द्वारा लिखित अंगिका साहित्य का इतिहास नामक पुस्तक के लोकार्पण से हुआ। उसके बाद संगोष्ठी के विषय बिहार रॉ लोकभाषा आरो अंगिका पे चर्चा प्रारंभ हुई।
कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता एवं संरक्षक, संगोष्ठी के सहायक संरक्षक हिंदी एवं अंगिका विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) बहादुर मिश्र, डॉ. मधुसूदन झा और प्रो.(डॉ) योगेंद्र महतों थे। उन्होंने अंगिका भाषा के आगे बढ़ने पर विस्तार से चर्चा की। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता हिंदी विभाग, विश्व भारती विद्यालय शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल के प्रो.(डॉ.) मंजु रानी सिंह थीं। उनके द्वारा अंगिका के साहित्य में हो रहे नई चुनौती विषय पर पूरे बिहार में हीं नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष में अंगिका को जनसंख्या की दृष्टि से प्रस्तुत किया।
बीज वक्ता के रूप में अरविन्द महिला कॉलेज, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के प्रो. शिव नारायण सिंह ने अपने बीच वक्तव्य में बिहार की लोक भाषा अंगिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं उन्होंने कहा कि अंगिका लगातार अपने आठवीं सूची को प्राप्त करने की मंजिल की ओर है। इस तरह के प्रयास से जरूर एक दिन सफलता प्राप्त होगी। संगोष्ठी के संयोजक विश्वविद्यालय अंगिका विभाग के सहायक प्राध्यापिका डॉ. शोभा कुमारी हैं।
संगोष्ठी के समन्वयक एवं निर्देशक हिंदी एवं अंगिका विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. नीलम महतों ने क्रम में अंगिका के पूर्ण विस्तार पे बात की। संगोष्ठी को सफल बनाने में टेक्नो पॉइंट के संस्थापक अंशु कुमार सिंह के साथ कई साहित्यकार के योगदान ये आयोजन हो पाया।
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(Udaipur Kiran) / बिजय शंकर
