
अनूपपुर, 17 जून (Udaipur Kiran) । जिले के किसान परंपरागत खेती के साथ अब व्यबवसायिक फसल पिपरमेंट (मेंथा) की खेती कर अपनी अमदनी बढ़ाने का इंतजाम कर लिया हैं। कम लागत लगा ज्यादा मुनाफा देने वाली 3 महीने की सुगंधित फसल पिपरमेंट खेती की तरफ कदम बढ़ा रहें हैं। इसका उपयोग दवाइयां, खुशबू, सौंदर्य प्रसाधन और खाद्य पदार्थों में होता हैं।
जनपद पंचायत अनूपपुर के ग्राम चुकान में वर्ष 2022 में किसान देवी दयाल कुशवाहा ने इसकी शुरुआत लगभग 5 एकड़ में चार किसान मिलकर की। पिपरमेंट खेती के लिए जलवायु और काली मिट्टी उपयुक्त साबित हो रही है। किसान देवीदयाल ने बताया कि इस फसल की जानकारी गाजीपुर से ली और बीज लाकर शुरुआत की जो सफल रहा। अन्य फसलों की तुलना में पिपरमेंट किसानों के लिए फायदेमंद है इसलिए अब किसान इस खेती से जुड़ने का रुझान दिखा रहे हैं।
फसल से निकलता है तेल
पिपरमेंट की खेती के बाद इसका तेल निकाला जाता है, जिसका उपयोग दवाइयां, परफ्यूम, सौंदर्य प्रसाधन और खाद्य पदार्थों में होता है, एक एकड़ में लगभग 50 से 60 लीटर तेल निकल जाता है। बाजार में यह कम से कम 1 हजार रुपए लीटर के भाव से बिकता है, कई बार तो यह तेल 1500 रुपए लीटर भी मिलता है। बाजार में इस तेल की अच्छी कीमत मिलती है।
पुदीना की तरह दिखता है पिपरमेंट का पौधा
पिपरमेंट का पौधा पुदीना की तरह दिखता है और मिर्च के पौधे के बराबर इसकी ऊंचाई होती है. किसान देवीदयाल बताते हैं कि पुदीना की तरह दिखने वाले लगभग 4 सेंटीमीटर वाले पिपरमेंट के पौधे की कटाई हो चुकी है. अब प्लांट से तेल निकाला जा रहा है।
किसान देवीदयाल बताते हैं कि पहले जुताई कर खेत को समतल किया जाता है, गोबर खाद डालकर जमीन को बराबर कर इसके बाद रोपाई का कार्य करने के बाद पानी दिया जाता है, 20 से 25 दिन के अंतराल में सिंचाई की जाती है ताकि नमी बनी रहे इससे पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है. जून माह के पहले सप्ताह में पिपरमेंट की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है. इनमें कली आ जाती है फिर इनकी कटाई की जाती है।
पत्तियों के रस से निकलता है तेल
किसान भारत ने बताया कि पौधों की गंध ऐसी होती है कि मवेशी वहां से दूर चले जाते हैं,इसलिए किसानों को फसल की सुरक्षा करने की चिंता नहीं रहती, पौधों के आसपास घास की निंदाई करनी होती है जिससे कि पौधे में कोई कीट व्याधि का प्रकोप ना हो और पौधे से अच्छी पत्तियां निकलें इस फसल में पत्तियों का खास महत्व रहता है. इसी के रस से जो तेल निकलता है उसी की कीमत होती है एक एकड़ में लगभग 50 से 60 किलो तेल निकल जाता है।
पिपरमेंट की खेती करने वाले किसान भारत और दया शंकर ने बताया कि जून माह में फसल जब तैयार हो जाती है तो काटने के बाद इसे सुखाया जाता है। तेल निकालने के लिए बड़े प्लांट यहां न होने के कारण खेत में ही मशीन लगाकर खुद तेल निकालते हैं इसे निकालने के लिए जो प्लांट लगाया जाता है जिसकी ज्यादा लागत नहीं आती है। तेल निकालने का एक बॉयलर जैसा प्लांट होता है, जिसमें नीचे 6 इंच तक पानी भरा रहता है, फिर करीब एक ट्राली कटी हुई फसल डाल कर नीचे आग लगाई जाती है और पानी गर्म होकर खोलने लगता है एक पाइप के जरिए दूसरी टंकी में निकला हुआ तेल पानी के साथ पहुंचता है और वहां पानी और तेल दोनों अलग हो जाते हैं. फिर तेल को अलग करके रख लिया जाता है।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला
