
प्रधानमंत्री के ‘वोकल फाॅर लोकल’ व स्वदेशी के आंदोलन को घर-घर पहुंचाएगी पतंजलि पीठ: बाबा रामदेव
हरिद्वार/ नई दिल्ली, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर पतंजलि योगपीठ ने कई राष्ट्रीय स्तर की घोषणा की। इनमें प्रधानमंत्री प्रतिभा पुरस्कार के तहत देश के सभी जिलों के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को पीठ की ओर से प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कृत किया जाएगा।इसके अलावा देशभर में फ्री मेडिकल चैकअप, योग व हैल्थ कैम्प लगाए जाएंगे। जहां क्रोनिक लीवर डिजीज, फैटी लीवर और लीवर सिरोसिस की निशुल्क औषधि वितरण भी किया जाएगा। बाबा रामदेव ने अमेरिकी व विदेशी कम्पनियों के बहिष्कार कर स्वदेशी अपनाने का आह्वान भी किया।
बुधवार को पतंजलि पीठ के सह संस्थापक व योग गुरु बाबा रामदेव ने दिल्ली में एक पत्रकार वार्ता कर महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। स्वामी रामदेव ने कहा कि देश के देवतुल्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हिमालय जैसे व्यक्तित्व में स्वदेशी, स्वधर्म, राष्ट्रधर्म व सनातन धर्म सन्निहित है। उन्होंने प्रधानमंत्री के दीर्घायु होने की कामना भी की। इस मौके पर बाबा रामदेव ने देशभर के सभी जिलों में सीबीएसई, बीएसबी (भारतीय शिक्षा बोर्ड) व स्टेट बोर्ड के छात्रों के लिए प्रधानमंत्री प्रतिभा पुरस्कार देने की योजना शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि देश के सभी जिलों में सीबीएसई, बीएसबी (भारतीय शिक्षा बोर्ड) व स्टेट बोर्ड के प्रथम, द्वितीय व तृतीय प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को प्रोत्साहन देने के लिए पतंजलि पीठ 11 से 51 हजार रुपयों से पुरस्कृत करेगा।
पत्रकार वार्ता में बाबा रामदेव ने कहा कि देशभर में 750 स्थानों पर फ्री मेडिकल चैकअप, योग व हैल्थ कैम्प लगाए जाएंगे। इसके साथ ही क्रोनिक लीवर डिजीज, फैटी लीवर और लीवर सिरोसिस की निशुल्क औषधि वितरण एवं उपचार कैम्प भी लगाए जाएंगे। इसके अलावा विकसित भारत अभियान के तहत पतंजलि की ओर से प्रधानमंत्री के ‘वोकल फाॅर लोकल’ व स्वदेशी के आंदोलन को गांव-गांव व घर-घर तक जनांदोलन के रूप में चलाया जाएगा।
स्वामी रामदेव ने दैनिक जीवन में अमेरिकी व विदेशी कम्पनियों के बहिष्कार का आह्वान करते हुए कहा कि विकसित भारत का सपना केवल प्रधानमंत्री का नहीं बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का है। हम सबको अपने दम पर भारत को दुनिया का श्रेष्ठ राष्ट्र बनाना है। उन्होंने कहा भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से प्रथम चरण में एक लाख, फिर तीन लाख विद्यालयों को स्वदेशी शिक्षा व्यवस्था से जोड़कर ऐसे आदर्श व्यक्तित्व व चरित्र का निर्माण करना है, जो पूरे विश्व का नेतृत्व कर सकें। भारत को केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक शक्ति बनाना है।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
