
जयपुर, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने दूरसंचार विभाग के अधिकारी का कर्नाटक तबादला करने से जुडे मामले में अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि एक ओर केन्द्र व राज्य सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढाओ का नारा दे रही है, तो दूसरी ओर उसके अधिकारी लडकियों की जरूरतों के प्रति उदासीन बने हुए हैं। इसके साथ ही अदालत ने केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता को मार्च, 2026 तक मौजूदा जगह पर बनाए रखने को कहा है। जस्टिस एसपी शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित ने यह आदेश पुष्कर नारायण शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि एक उप-मंडल अभियंता का दूसरे राज्य में तबादला करने से पूरा परिवार प्रभावित होगा। उसकी बेटी 12वीं कक्षा में पढ़ रही है और शैक्षणिक माहौल प्रदान करने के लिए याचिकाकर्ता ने परीक्षा तक मौजूदा स्थान पर बनाए रखने की गुहार की है।
याचिका में अधिवक्ता शोभित व्यास ने बताया कि विभाग ने याचिकाकर्ता का तबादला राजस्थान सर्किल से कर्नाटक सर्किल में कर दिया। याचिकाकर्ता ने बेटी की परीक्षा का हवाला देकर मार्च, 2026 तक मौजूदा पद पर बनाए रखने को कहा, लेकिन विभाग ने इसे अस्वीकार कर दिया। वहीं कैट ने उसके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया कि वह 23 साल से यहां कार्यरत है और विभाग देशभर में उसका तबादला कर सकता है। जबकि यदि वह नई जगह पर जाएगा तो बेटी की पढाई प्रभावित होगी। वहीं विभाग की ओर से कहा गया कि विभाग के पास समान प्रकृति के कई आवेदन आए हैं। याचिकाकर्ता को इसकी अनुमति देने पर अन्य मामले भी प्रभावित होते । दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को मार्च, 2026 तक मौजूद पद पर बनाए रखने को कहा है।
—————
(Udaipur Kiran)
