

—महादेव को भी समस्त सिद्धियां माता सिद्धिदात्री की कृपा से ही प्राप्त हुई,भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर कहलाए
वाराणसी, 01 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी (काशी) में शारदीय नवरात्र के नौवें और अन्तिम दिन बुधवार को श्रद्धालुओं ने मैदागिन गोलघर स्थित मां सिद्धिदात्री के दरबार में हाजिरी लगाई। दरबार में भोर से ही श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंचने लगे। श्रद्धालु मां का दर्शन पूजन कर आह्लादित दिखे।
मां सिद्धिदात्री मंदिर में तड़के मंदिर के पुजारी की देखरेख में आदि शक्ति के विग्रह को पंचामृत स्नान कराने के बाद विधि विधान से श्रृंगार किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भोग, मंगला आरती कर मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। दरबार खुलते ही पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग गया। श्रद्धालु जय माता दी का उद्घोष कर देवी के दरबार में मत्था टेक कर नारियल, गुड़हल की माला, लाल चुनरी व प्रसाद अर्पित कर अपनी मुरादें पूरी करने की गुहार लगाते रहे। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री हैं।
ज्योतिषविद आचार्य रविन्द्र तिवारी के अनुसार महानवमी के दिन इनके पूजन-अर्चन से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मां जगत के कल्याण के लिए नौ रूपों में प्रकट हुई और इन रूपों में अंतिम रूप है सिद्धिदात्री देवी हैं। शिव महापुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण और देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त करने के बाद अर्धनारीश्वर कहलाये।
भगवान शिव को मिले आठ सिद्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं। मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान हैं। मां के चार हाथ हैं। मां ने हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और चक्र धारण किया है। मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी माना जाता हैं। उधर, मंदिर समिति और प्रशासन ने दर्शन व्यवस्था को सुव्यवस्थित बनाए रखने के लिए सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए। सुरक्षा बलों की तैनाती, बैरिकेडिंग और श्रद्धालुओं की कतारों को नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग मार्ग बनाया गया था। शारदीय नवरात्र के अन्तिम दिन दुर्गाकुंड स्थित कुष्मांडा दरबार सहित अन्य देवी मंदिरों में भी लोग दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते रहे।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
