
हरिद्वार, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । श्रावण मास के पहले सोमवार को तीर्थनगरी के शिवालयों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ी। शिव भक्तों ने अपने आराध्य का जलाभिषेक व बहुविधि पूजन-अर्चन कर सुख-समृद्धि की कामना की। ब्रह्ममुहूर्त से शुरू हुआ जलाभिषेक का सिलसिला अनवरत जारी रहा। भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस प्रशासन की ओर से शिवालयों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
मान्यता है कि श्रावण मास भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है। इसी कारण से इस मास में शिव आराधना का विशेष फल बताया गया है। श्रावण के पहले सोमवार को सबसे अधिक भीड़ कनखल स्थित श्री दक्षेश्वर महादेव मंदिर में देखने को मिली। मान्यता है कि भगवान शिव सावन के पूरे महीने अपनी ससुराल कनखल स्थित दक्षेश्वर प्रजापति मंदिर में ही निवास करते हुए यहीं से सृष्टि का संचालन और लोगों का कल्याण करते हैं।
दक्षेश्वर महादेव मंदिर समेत अन्य शिवालयों में भी भोले के भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए पहुंचे। भगवान शिव की ससुराल कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की कतार लगी रहीं।
दक्षेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी विनोद शास्त्री का कहना है कि सावन के महीने में शिव की अराधना का खास महत्व माना जाता है। क्योंकि सोमवार का दिन भोलेनाथ को बहुत पसंद होता है। कहा जाता है कि शिव को सावन में सोमवार के दिन जलाभिषेक करने से वो भक्तों से जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।
भगवान शंकर ने दक्षेश्वर महादेव के रूप में एक माह स्वयंभू लिंग के रूप में रहने का वचन दिया था। सावन में उनके द्वारा किये गए वादे के अनुरूप भगवान शंकर दक्षेश्वर महादेव यानी अपनी ससुराल हरिद्वार में रहते हैं। भगवान शंकर ने देवताओं और मां लक्ष्मी को वरदान दिया था कि सती की कमी को पूरा करने के लिए वे सावन के माह में यही निवास करेंगे और वे यहां कटे हुए सिर के रूप में विराजमान हैं। जो भी यहां सावन में शिव का जलाभिषेक करता है, भगवान शंकर उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
दक्षेश्वर महादेव मंदिर के अतिरिक्त तीर्थनगरी के श्री तिलभाण्डेश्वर महादेव मंदिर, जहां भगवान तिल-तिल कर शुक्ल पक्ष में बढ़ते हैं और कृष्ण पक्ष में तिल-तिल कर घटते हैं, में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। इसके अतिरिक्त दरिद्रभंजन, दुःखभंजन, गौरी शंकर, नीलेश्वर, विल्वकेश्वर समेत तमाम शिवायालों में भक्तों का दिन भर तांता लगा रहा। भक्तों ने बहुविधि अपने आराध्य का पूजन-अर्चन व जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
