West Bengal

चिड़ियाघर से जानवरों के गायब होने पर तृणमूल के पूर्व सांसद ने ही मांगा ममता बनर्जी से जवाब

कोलकाता के प्रसिद्ध अलीपुर चिड़ियाघर

कोलकाता, 24 जुलाई (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार से पूर्व तृणमूल कांग्रेस सांसद जवाहर सरकार ने कोलकाता के प्रसिद्ध अलीपुर चिड़ियाघर से जानवरों के अचानक गायब होने को लेकर जवाब मांगा है। उन्होंने इस मामले में सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए जानवरों की संख्या में भारी गिरावट और चिड़ियाघर की जमीन की नीलामी को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

पूर्व राज्यमंत्री और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे जवाहर सरकार ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर में क्या हो रहा है? उनके ही आंकड़ों के मुताबिक, एक साल में जानवरों और पक्षियों की संख्या आधी रह गई है। 1996 में यहां 1872 जानवर थे, अब सिर्फ 351 बचे हैं! आखिर इन्हें चुराया जा रहा है या तस्करी हो रही है?

उन्होंने आरोप लगाया कि चिड़ियाघर की जमीन का एक हिस्सा राज्य सरकार द्वारा नीलामी के लिए रखा गया है, जिससे साफ है कि चिड़ियाघर की हालत सुधारने की बजाय उसे धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है।

इस मुद्दे को लेकर ‘स्वाजोन’ नामक एक स्थानीय स्वयंसेवी संगठन ने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में दावा किया गया है कि वर्ष 2023-24 के अंत में चिड़ियाघर में 672 जानवर थे, जबकि 2024-25 की शुरुआत में यह संख्या घटकर 351 हो गई।

इसके साथ ही याचिका में यह भी उल्लेख है कि राज्य की हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (हिडको) ने पिछले महीने अलीपुर स्थित 34ए बेलवेडियर रोड की एक जमीन को व्यावसायिक उपयोग के लिए ई-निविदा के जरिए नीलामी में डाल दिया।

सरकार ने अपने पोस्ट में दावा किया कि इस जमीन पर पशु चिकित्सालय सहित कई महत्वपूर्ण इमारतें स्थित हैं, और इसे एक निजी समुद्री पार्क के लिए बेचा जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि यह सब किसके हित में किया जा रहा है? अगर समुद्री पार्क बनाना ही है, तो क्या इसके लिए कोई और जगह नहीं मिल सकती थी?

उन्होंने पूरे मामले में पारदर्शिता की मांग करते हुए कहा कि सरकार स्पष्ट रूप से बताए कि वर्तमान में चिड़ियाघर में कितने जानवर और पक्षी हैं और उन्हें बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

अब तक न तो केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) और न ही पश्चिम बंगाल चिड़ियाघर प्राधिकरण (डब्ल्यूबीजेडए) ने इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक बयान या रिपोर्ट जारी की है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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