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(संशोधित) एससीओ में भारत के रुख पर विदेश मंत्रालय ने कहा- आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं

प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल

नई दिल्ली, 26 जून (Udaipur Kiran) । शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से भारत के इनकार करने को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह निर्णय भारत ने सिद्धांतगत आधार पर लिया क्योंकि घोषणापत्र के कुछ अहम बिंदुओं पर सदस्य देशों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई।

चीन के किंगदाओ प्रांत में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में भारत ने अहम कूटनीतिक रुख अपनाते हुए संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कुछ अहम बिंदुओं पर आम सहमति न बनने के चलते इस घोषणापत्र को स्वीकार नहीं किया।

इसे लेकर राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में पूछे गए सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल बताया कि भारत चाहता था कि दस्तावेज़ में आतंकवाद, विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद और उससे जुड़ी चिंताओं को स्पष्ट रूप से दर्शाया जाए। कुछ सदस्य देशों को यह स्वीकार्य नहीं था, जिसके चलते घोषणापत्र को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। जायसवाल ने कहा कि भारत का मानना है कि आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है और इस विषय पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।

जायसवाल ने कहा कि अपने संबोधन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ के सभी 11 सदस्य देशों से आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि आतंकवाद को समर्थन, वित्त पोषण और शरण देने वालों को जवाबदेह ठहराना जरूरी है और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। प्रवक्ता ने दोहराया कि भारत एससीओ के मंच पर रचनात्मक भूमिका निभाने को प्रतिबद्ध है, लेकिन अपनी सुरक्षा और मूल सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करेगा।

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(Udaipur Kiran)

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