Jammu & Kashmir

राजस्व अभिलेखों में उर्दू पर उमर अब्दुल्ला का बयान – एक भ्रामक और राजनीति से प्रेरित कदम-पवन शर्मा

राजस्व अभिलेखों में उर्दू पर उमर अब्दुल्ला का बयान - एक भ्रामक और राजनीति से प्रेरित कदम-पवन शर्मा

जम्मू, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । वरिष्ठ भाजपा नेता और जम्मू-कश्मीर के राज्य सचिव पवन शर्मा, राजस्व अभिलेखों में उर्दू के इस्तेमाल के संबंध में उमर अब्दुल्ला द्वारा दिए गए बयान की कड़ी निंदा करते हैं। यह कदम राजनीतिक अवसरवाद का एक स्पष्ट उदाहरण है जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को प्रभावित करने वाले वास्तविक मुद्दों को संबोधित करने के बजाय जनता का ध्रुवीकरण करना है।

उमर अब्दुल्ला ने कहा था आज़ादी से पहले भी हमारे राजस्व अभिलेख उर्दू में होते थे। राजस्व विभाग का कोई कर्मचारी अगर उर्दू नहीं जानता तो कैसे काम करेगा। पहले जब जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी नियुक्त होते थे अगर उन्हें उर्दू नहीं आती थी तो उन्हें बुनियादी बातें सीखने का समय दिया जाता था। मुझे नहीं लगता कि राजस्व विभाग के कर्मचारी जो उर्दू नहीं जानते वे कुशल हो सकते हैं।

पवन शर्मा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उमर अब्दुल्ला जानबूझकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा यह सच है कि आज़ादी से पहले जम्मू-कश्मीर समेत पूरे उत्तर भारत में राजस्व रिकॉर्ड फ़ारसी या उर्दू में रखे जाते थे। हालाँकि समय और प्रशासनिक सुधारों के साथ ज़्यादातर राज्यों ने हिंदी, अंग्रेज़ी या स्थानीय भाषाओं को अपना लिया। यहाँ तक कि जम्मू-कश्मीर में भी सरकारी स्कूलों में शिक्षा का माध्यम पूरी तरह से अंग्रेज़ी हो गया है।

शर्मा ने ज़ोर देकर कहा कि उमर अब्दुल्ला का राजस्व रिकॉर्ड में उर्दू पर ज़ोर देना एक चुनिंदा दृष्टिकोण है, जो जम्मू-कश्मीर की भाषाई विविधता की अनदेखी करता है। भाजपा लगातार हिंदी, संस्कृत और डोगरी समेत सभी आधिकारिक भाषाओं को बढ़ावा देने की वकालत करती रही है जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत का अभिन्न अंग हैं।

पवन शर्मा ने कहा कि उमर अब्दुल्ला द्वारा उर्दू को अन्य भाषाओं पर प्राथमिकता देना पाखंड है। यह पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण भाषाई समावेशिता और समानता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है। जम्मू-कश्मीर के लोग अपनी भाषाई पहचान के लिए बेहतर प्रतिनिधित्व और मान्यता के हक़दार हैं।

शर्मा ने कहा कि भाषाई राजनीति पर उमर अब्दुल्ला का ज़ोर बेरोज़गारी बुनियादी ढाँचे के विकास और सामाजिक कल्याण जैसी ज़रूरी चिंताओं से ध्यान भटका रहा है। भाजपा उनसे आग्रह करती है कि वे विभाजनकारी राजनीति करने के बजाय लोगों की ज़रूरतों को प्राथमिकता दें।

शर्मा ने जम्मू-कश्मीर में भाषाई समावेशिता और समानता को बढ़ावा देने सभी समुदायों को फलने-फूलने के लिए सशक्त बनाने और प्रत्येक नागरिक को अवसरों और संसाधनों तक समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए भाजपा की अटूट प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया।

(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता

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