Madhya Pradesh

अशोकनगर : जीवन में नैतिकता,क्षमा, करूणा के भाव लाएं : ओम बिरला

अशोकनगर: जीवन में नैतिकता,क्षमा, करूणा के भाव लाएं: ओम बिरला
अशोकनगर: जीवन में नैतिकता,क्षमा, करूणा के भाव लाएं: ओम बिरला

अशोकनगर, 5 सितम्बर (Udaipur Kiran) । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बारिश के बीच हेलीकॉप्टर से शुक्रवार को यहां आगमन हुआ। उनके द्वारा जैन समाज द्वारा आयोजित श्रावक संस्कार शिविर में भाग लेते हुए निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्री सुधासागर महाराज को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया गया।

इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आचार्य परम्परा के गौरव राष्ट्रसंत मुनि पुंगव श्री श्री 108 सुधासागर जी महाराज के चरणों में नमस्तु नमस्तु। आचार्य श्री जहां भी जाते है, जिस नगर से गुजरते है, जिस शहर, गावं जिस राजधानी से निकले है वह सारा क्षेत्र धर्ममय हो जाता है। गुरू के इन चरणों की इस माटी से ही उस क्षेत्र की जनता में आध्यात्मिक धर्म संस्कृति की नैतिकता का प्रभाव हो जाता है। उन्होंने कहा कि देशभर से आये 32 वें श्रावक संस्कार शिविर में सभी भक्तों में प्रणाम करता हूं। आप सबकों को सौभाग्य मिला है आचार्य जी के चरणों का,हमें भी सौभाग्य मिला है।

आचार्य जी की कृपा है कि समय समय पर आशीर्वाद देते है हमारा मार्गदर्शन करते है। यह समय पर्युषण पर्व का विशेष महत्व का समय है। जैन समाज नही बल्कि सृष्टि पर रहने वाले हर व्यक्ति को पर्यषण पर्व के महत्व को समझना चाहिए। हमारे जीवन के अंदर हम नैतिकता लाए,क्षमा लाएं, करूणा लाएं और अपने जीवन के अंदर हमेशा सत्य, अहिसा और करूणा का भाव है। पर्युषण पर्व के दस लक्षण है। संभव सबके साथ एक जैसा भाव हमेशा कल्याण का भाव होना चाहिए। हम सभी अपनी आत्मा का कल्याण, आत्मविशेषण हो, आत्मचिंतन,आत्मशुद्धि हो।

इससे बड़ा पर्व एवं इससे बड़ा कुछ नही हो सकता। उसके बाद क्षमा क्रोध, लोभ, मोह सब त्याग करना। कितना भी क्रोध हो उसका त्याग करना चाहिए। भगवान महावीर के विचार आज देश दुनिया में यथार्थ है। तीर्थंकर भगवान महावीर ने कहा था सत्य अहिंसा शांति ही दुनिया का संदेश है। आज दुनिया के अंदर अंहिसा और शांति ही दुनिया के लिए संदेश है। उसी संदेश को देश दुनिया में पहुंचाने का कार्य कर रहे है। जैन दर्शन आज दुनिया का दर्शन बन चुका है। आज दुनिया के कई देशों में जायेगों तो कौन सा खाना है तो जैन खाना सात्विक खाना है। जैन विचार सात्विक विचार है। तप, तपस्या, अहिंसा, ब्रम्हचर्य हर गुण के अंदर सात्विक संदेश है और गुरूदेव का सात्विक संदेश मिल जाए तो इससे बडा कोई संदेश नही है।

गुरूदेव का आर्शीवाद,मार्गदर्शन उनका ज्ञान मुझे हमेशा नई दिशा एवं प्रेरणा देता है। अभी भी गुरूदेव मुझे ज्ञान दिया। जो दायित्व आपका है,वह कैसा होना चाहिए। निष्पक्ष,निर्बाध एवं संभव होना चाहिए। हम सब जब गुरू के चरणों में जाते है तो गुरू की तप तपस्या उनके जीवन ही हमारे लिए जीवंत पाठशाला है। उनका दर्शन ही हमारे जीवन का पाठशाला है। उनका दर्शन मिल जाए, उनके मुख से हमें वाणी मिल जाए। उन्होंने कहा कि निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज के आर्शीवाद सदा बना रहे।

—————

(Udaipur Kiran) / देवेन्द्र ताम्रकार

Most Popular

To Top