Chhattisgarh

ऑयल पाम की खेती से बदलेगी किसानों की किस्मत, जिले में 12.59 हेक्टेयर क्षेत्र में 1800 पौधों का किया गया रोपण

ऑयल पाम की खेती से बदलेगी किसानों की किस्मत, जिले में 12.59 हेक्टेयर क्षेत्र में 1800 पौधों का किया गया रोपण

कोरबा/जांजगीर चांपा, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में एवं फसल विविधिकरण हेतु ऑयल पाम की खेती को जिले में व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है। कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने आयल पाम की खेती से जिले के किसानों को वृहद पैमाने पर जोड़ने के निर्देश दिए है।

सहायक संचालक उद्यान श्रीमती रंजना मखीजा ने बताया कि ऑयल पाम एक लाभकारी एवं दीर्घकालिक निवेश विकल्प के रूप में उभर रही है सरकारी सहायता और उचित प्रबंधन से किसानो को स्थिर एवं उच्च आय प्राप्त होगी। जिले के अकलतरा, बलौदा, बम्हनीडीह एवं नवागढ़ विकासखंडों में 50 हेक्टेयर हेतु किसानो का चयन किया गया है जिसमें से कुल 9 किसानों ने कुल 12.59 हेक्टेयर क्षेत्र में 1800 पौधे लगाये हैं। किसानों में नरियरा के मुकेश केडिया, बछौद के राम बाबू, सेवई के नवनीत सिंह राणा, सरवानी के अजीत राम साहू एवं अन्य शामिल है। पाम ऑयल की खेती के लिए किसानों को शासकीय अनुदान एवं तकनीकी मार्गदर्शन प्रदाय किया जा रहा है।

योजनांतर्गत रोपणी सामग्री, रखरखाव, खाद, अंतरवर्ती फसल, बोरवेल, पंपसेट, फेंसिंग एवं ड्रिप हेतु केन्द्र सरकार द्वारा 1.30 लाख का अनुदान दिया जा रहा है। एवं राज्य सरकार द्वारा 1.29 लाख टॉपअॅप के माध्यम से दिया जाना प्रस्तावित है इस प्रकार किसानो को प्रति हेक्टेयर 2.59 लाख का शासकीय अनुदान से लाभान्वित किया जावेगा।

सहायक संचालक उद्यानिकी ने बताया कि विशेषज्ञों के अनुसार पाम ऑयल की खेती धान एवं अन्य तिलहनी फसलों की तुलना में 3 से 5 गुना अधिक लाभकारी है। प्रति हेक्टेयर किसानों को 2.5 से 3 लाख रुपए तक की आमदनी प्राप्त हो सकती है। पाम ऑयल का उपयोग रिफाइंड तेल, साबुन और सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है, जिससे इसका बाजार स्थायी एवं लाभदायक है।

कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पाम ऑयल की खेती को अभियान के रूप में आगे बढ़ाते हुए जिले के अधिक से अधिक किसानों को इससे जोड़ा जाए। विभाग द्वारा किसानों को पौधे, तकनीकी मार्गदर्शन एवं विपणन की गारंटी उपलब्ध कराई जा रही है। ऑयल पॉम पौध रोपण के 3 वर्ष से 25 से 30 वर्षाे तक लगातार उत्पादन प्राप्त होता है प्रति हेक्टेयर 15 से 20 टन ताजे फल गुच्छे प्रति वर्ष प्राप्त होता है शुरूआत के तीन वर्षाे में अन्तर्वतीय फसले जैसे – केला, पपीता, सब्जी एवं मसाला लगाकर अतरिक्त आय अर्जित कर सकते है यदि अन्तवर्तीय फसल के रूप में ग्राफ्टेड बैगन की खेती करते है तो प्रति हेक्टेयर 5 लाख तक आय प्राप्त कर सकते है।

(Udaipur Kiran) / हरीश तिवारी

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