
जयपुर, 5 जुलाई (Udaipur Kiran) । अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर शनिवार को राजस्थान सहकारी शिक्षा एवं प्रबंध संस्थान (राइसेम) में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ‘सहकारिता : बेहतर विश्व के लिए समावेशी और टिकाऊ समाधान को आगे बढ़ाना’ शीर्षक से आयोजित सेमिनार में सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने इस विषय सहित सहकारिता की अन्य चुनौतियों और संभावनाओं पर मंथन किया।
अतिरिक्त रजिस्ट्रार (प्रथम) शिल्पी पांडे ने कहा कि हमें सहकारिता के ध्येय वाक्य ‘एक सबके लिए, सब एक के लिए’ को अपने जीवन में आत्मसात करना होगा। हम आपस में सहयोग, सहभागिता और जुड़ाव को बनाये रखते हुए एक-दूसरे की मदद करें। यह परिवर्तन का दौर है। अनेक प्रकार के परिवर्तन सहकारिता सहित अन्य क्षेत्रों में हो रहे हैं। हमें आगे बढ़ने के लिए इन परिवर्तनों को स्वीकार करते हुए सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा।
अतिरिक्त रजिस्ट्रार (द्वितीय) एवं अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के नोडल अधिकारी संदीप खण्डेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह देश में सहकारिता को एक नई पहचान देने का प्रयास कर रहे हैं। सहकारिता से जुड़ी योजनाओं में राजस्थान बेहतर प्रदर्शन कर रहा है जिससे राष्ट्रीय स्तर भी राज्य का विशेष रूप से उल्लेख किया जा रहा है। सहकारिता को राजस्थान को माध्यम से नई पहचान मिल रही है और आगामी समय में राजस्थान देश में मॉडल स्टेट के रूप में उभरेगा।
अतिरिक्त रजिस्ट्रार (मा.सं.वि.) एवं ‘सहकार से समृद्धि’ के नोडल अधिकारी भोमा राम ने सहकारिता के उद्भव, विकास और इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि सहकारिता की भूमिका केवल विभाग तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक आन्दोलन है। देश में 29 करोड़ लोग और राज्य में प्रत्येक पांचवां व्यक्ति सहकारिता से जुड़े हैं। इसका और अधिक विस्तार किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में सहकारिता का महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। उन्होंने ‘सहकार से समृद्धि’ परिकल्पना पर भी विस्तार से प्रकाश डालते कहा कि इसके अंतर्गत डेटा बेस तैयार कर नई नीतियां बनाई जा रही है।
राइसेम के निदेशक रणजीत सिंह चूड़ावत ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि ‘सहकार से समृद्धि’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना पर आधारित एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें 60 से अधिक पहलों के माध्यम से सहकारिता को सशक्त बनाया जा रहा है। इनमें लगभग 14 पहलें ग्राम सेवा सहकारी समितियों से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान में सहकारिता का 125 वर्ष पुराना गौरवशाली इतिहास है, इसे हमें और अधिक समृद्ध बनाना है।
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(Udaipur Kiran)
