RAJASTHAN

अब हिंदू का स्वर बदलना चाहिए, राष्ट्र निर्माण में हर घर की भागीदारी जरूरी है: निंबाराम

संघ शताब्दी वर्ष कार्यक्रम।
संघ के कार्यक्रम क्षेत्र प्रचारक निंबाराम।

जयपुर, 5 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर रविवार को जयपुर के ऋषि गालव भाग के पोंडरिक नगर की गोपीनाथ, नीलकंठ और चौगान बस्तियों में विजयादशमी उत्सव और शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया। प्रातः 8 बजे गोपीनाथ शाखा में शस्त्र पूजन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद स्वयंसेवकों ने योग व्यायाम, दंड प्रहार, नियुद्ध और घोष का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भरत सिंह सोलंकी और विशिष्ट अतिथि आचार्य साध्वी डॉ. प्राची मौजूद रहीं। नगर संघचालक वैद्य केदार शर्मा भी मंच पर उपस्थित रहे। सबसे विशेष रहा क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम जी का ओजस्वी और विचारोत्तेजक उद्बोधन, जिसमें उन्होंने संघ की 100 वर्षों की यात्रा को न सिर्फ ऐतिहासिक संदर्भों के साथ रखा, बल्कि वर्तमान सामाजिक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में उसकी प्रासंगिकता भी समझाई।

निंबाराम ने डॉ. हेडगेवार के बचपन से शुरुआत करते हुए बताया कि किस तरह उन्होंने राष्ट्र के लिए जीवन समर्पित किया। उन्होंने कहा कि हेडगेवार जी ने यह महसूस कर लिया था कि देश को आज़ादी भले मिल जाए, लेकिन समाज अगर संगठित नहीं हुआ तो राष्ट्र अधूरा रह जाएगा। इसलिए उन्होंने शाखा के माध्यम से व्यक्तियों के निर्माण का कार्य शुरू किया, जो आज वटवृक्ष की तरह फैल चुका है।

उन्होंने कहा कि संघ के 100 साल सेवा, समर्पण और संगठन की यात्रा है। आज संघ का स्वयंसेवक आपदा हो या उत्सव, हर स्थिति में समाज के साथ खड़ा मिलता है। उन्होंने साफ कहा कि संघ किसी दल या विचारधारा के विरोध में नहीं, बल्कि हिंदू समाज को जागरूक और संगठित करने के लिए काम करता है।उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में हर हिंदू तक संघ का संदेश पहुंचेगा। अब समय आ गया है कि हिंदू का स्वर बदले। उन्होंने सोशल मीडिया को लेकर भी बात की। बोले, सोशल मीडिया पर संघ को लेकर बहुत बातें तैरती हैं, लेकिन वहां सच्चाई का अंश भर होता है। संघ को समझना है तो शाखा आइए, क्योंकि शाखा केवल शारीरिक व्यायाम का मंच नहीं, यह राष्ट्र निर्माण की प्रयोगशाला है। उन्होंने कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा पर प्रहार करते हुए कहा कि ये वही लोग हैं जो देश के मूल और परंपरा से कटे हुए हैं, लेकिन आज ये भी स्वीकारते हैं कि संघ सेवा का पर्याय बन चुका है।

शस्त्र पूजा के विरोध पर उन्होंने कहा कि यह हमारी वैदिक परंपरा का हिस्सा है। ऋषि-मुनियों ने भी शस्त्र और शास्त्र दोनों का महत्व बताया है। उन्होंने कहा कि आज जब देश को आत्मबल की जरूरत है, तब शस्त्र पूजा एक सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि समाज की सज्जन शक्ति, संत शक्ति और मातृशक्ति को आगे आकर संस्कारयुक्त पीढ़ी का निर्माण करना होगा। निंबाराम जी ने पंच परिवर्तन की बात करते हुए आज के समय में कुटुंब प्रबोधन की महत्ता बताई। साथ ही स्व और स्वदेशी को जीवन में अपनाने पर जोर दिया।

साध्वी प्राची ने हिंदू समाज को जागरूक रहने और अपने बच्चों को संस्कार देने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें किसी से खतरा नहीं है, सिर्फ गद्दारों से सतर्क रहने की जरूरत है। कार्यक्रम के अंत में मंत्रोच्चार के साथ शस्त्र पूजन किया गया। इस दौरान स्वयंसेवक, मातृशक्ति और आमजन की भागीदारी रही।

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(Udaipur Kiran)

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