Uttrakhand

अब पहले जैसे नहीं रहे चुनाव, शिक्षा ओर व्यवहार देखकर चुना जाता था प्रधान

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव uttarakhand

बागेश्वर, 17 जुलाई (Udaipur Kiran) । त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए 24 जुलाई को मतदान होना है। चुनाव चिह्न आवंटित होने के बाद प्रत्याशी मतदाताओं के बीच जाकर अधिक से अधिक वोट पाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। इस दौरान विकास के बड़े-बड़े दावे भी किए जा रहे हैं। हालांकि गरुड़ में बातचीत के दौरान ये बात सामने आई कि पुरानी पीढ़ी के लोग वर्तमान के चुनावी माहौल और राजनीति को देखकर निराश और मायूस हैं।

कई दशकों से चुनाव देखते आ रहे ये बुजुर्ग मतदाता चुनाव जीतने के लिए किए जा रहे जोड़तोड़ को सही नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि प्रलोभन,छल, नशा और राजनीतिक दलों की पंचायत चुनाव में बढ़ती भागीदारी से माहौल बिगड़ रहा है।

– जीवन के 90 साल पार कर चुके लक्ष्मी दत्त कहते हैं कि अब चुनाव में गुटबाजी, मनमुटाव को बातें आम हो गई हैं। शराब और रुपये के जोर पर चुनाव हो रहा है। जनता के भले की चिंता कुछ ही लोगों को रहती है। प्रलेभन और दबाव से दूर रहकर वोट किए जाएं, तभी मताधिकार सफल होगा।

-75 साल के हो चुके भगवती प्रसाद के अनुसार पहले ग्राम प्रधान बुजुर्गों की सहमति से चुने जाते थे। आज छल, कपट, शराब और धन के बल पर चुनाव लड़ा जा रहा है। विकास के दावे ही किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर काम करने वालों की संख्या सीमित है।

-80 से अधिक वर्ष के डीसी भंडारी कहते हैं कि पुराने समय में लोग कम शिक्षित होने के बाद भी अपने भले के लिए सजग थे। शिक्षित और व्यावहारिक को मुखिया चुना जाता था। अब प्रलोभन, शराब के बल पर चुनाव जीतने को कोशिश की जाती है। राजनीतिक दलो की बढ़ती पैठ से आपसे द्वेष भी बढ़ रहा है।

(Udaipur Kiran) / DEEPESH TIWARI

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