Uttar Pradesh

अब गोमती जोन के हर थाने में झगड़ा फसाद करने वालों की बनेगी हिटलिस्ट

डीसीपी गोमती जोन समीक्षा बैठक में

—आरोपियों को पाबंदन करा कर एक साल तक के लिए भेजा जाएगा जेल,सहायक पुलिस आयुक्तों को मिला अधिकार

वाराणसी,18 जून (Udaipur Kiran) । वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के गोमती जोन के हर थाने में झगड़ा फसाद करने वाले 20- 20 लोगों की हिटलिस्ट तैयार होगी। आरोपितों को पाबंदन करा कर एक साल के लिए जेल भेजा जाएगा। गोमती जोन में अपराध को कम करने के लिए खास कर भूमि विवाद एवं पारिवारिक कलह जैसे मामलों में व्यक्तियों को चिन्हित कर ‘हिट लिस्ट’ बनाने की तैयारी है। बुधवार को डीसीपी गोमती जोन ने कार्यपालक मजिस्ट्रेट के साथ समीक्षा बैठक में इसको लेकर गंभीरता दिखाई। इसमें न्यायालय राजातालाब एवं पिंडरा के कार्यपालक मजिस्ट्रेटों (एसीपी पिंडरा, एसीपी राजातालाब एवं एसीपी रोहनिया) तथा गोमती ज़ोन के सभी थाना प्रभारियों के साथ न्यायालयीय कार्यों को लेकर रणनीति बनी।

—प्रभावी पैरवी और दस्तावेजी साक्ष्य जुटाने पर जोर

डीसीपी ने कहा कि संबंधित उपनिरीक्षक हिटलिस्ट में सूचीबद्ध व्यक्तियों के विरुद्ध विस्तृत चलानी रिपोर्ट तैयार करेंगे। जिसमें पूर्व की घटनाएं, गवाह, दस्तावेज़ी साक्ष्य, मेडिकल रिपोर्ट एवं अन्य आवश्यक तथ्य संलग्न होंगे। तत्पश्चात स्वयं उपस्थित होकर न्यायालय में प्रभावी पैरवी करते हुए अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों को मज़बूती से प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे कार्यपालक मजिस्ट्रेट न्यायालय से अंतिम रूप से पाबंद कराना संभव हो सके।

—पुनः शांति भंग करने पर सीधी जेल की कार्यवाही

डीसीपी ने कहा कि पाबंद किए गए व्यक्तियों द्वारा यदि पुनः शांति भंग की जाती है, तो उनकी ज़मानत ज़ब्त करते हुए न केवल इनको आर्थिक नुकसान होगा । बल्कि सीधे जेल भेजने की कार्यवाही की जाएगी।

बताते चले भूमि विवाद एवं पारिवारिक कलह जैसे मामलों में आए दिन झगड़े होते हैं, जिनमें सामान्य धाराओं में अभियोग पंजीकृत होते हैं और आरोपियों को जेल भेजना संभव नहीं होता। जिससे समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पाता। इस कारण बाद में हत्या जैसी बड़ी घटना होने का अंदेशा बना रहता है। इन परिस्थितियों में पुलिस बीएनएसएस की धारा 126 (पूर्ववर्ती 107/116) के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति को शांति भंग की आशंका पर एसीपी न्यायालय द्वारा अधिकतम एक वर्ष तक कारावास में भेजा जा सकता है। यह देखा गया है कि पुलिस की ओर से न्यायालय में प्रभावी पैरवी न होने के कारण अधिकांश मामलों में आरोपियों को अंतिम रूप से पाबंद नहीं कराया जा पाता, जिससे वे पुनः समाज में अशांति उत्पन्न करते हैं और कठोर कार्रवाई से बच निकलते हैं। ऐसे में ऐसे व्यक्तियों को चिन्हित कर तैयार ‘हिट लिस्ट’ प्रभावी कार्रवाही में मददगार रहेगी। वाराणसी में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के बाद सहायक पुलिस आयुक्तों को कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त करते हुए निरोधात्मक कार्यवाहियों के अधिकार दिए गए हैं।

—प्रभावी निगरानी के लिए पुलिस उपायुक्त ने एक नया रजिस्टर प्रारूप भी जारी किया

126 की कार्यवाहियों की प्रभावी निगरानी के लिए पुलिस उपायुक्त ने एक नया रजिस्टर प्रारूप भी जारी किया है, जिसमें ‘हिट लिस्ट’ में सम्मिलित व्यक्तियों की कार्यवाही, निगरानी एवं अद्यतन प्रगति नियमित रूप से अंकित की जाएगी। प्रत्येक थाना स्तर पर इस रजिस्टर की साप्ताहिक समीक्षा की जाएगी।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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